जख्मी पैर, रिसते खून के साथ दौड़ता रहा लखनऊ का 'मिल्खा', सेना के लिए दिखा जुनून और जज़्बा
सेना भर्ती की दौड़ में अव्वल आये रवि पर 15 दिन पहले रॉड से हमला किये जाने पर पैर में चार टांके लगे थे।
फतेहपुर, [विनोद मिश्र]। धावक मिल्खा सिंह पर बनी फिल्म 'भाग मिल्खा भाग' देखी हो तो वह दृश्य आपको याद होगा जब वे जख्मी पैर में पट्टी बांधे दौड़ते हैं। खून बहता रहता है, लेकिन हौसला नहीं टूटता। कुछ ऐसा ही दृश्य यहां सेना भर्ती की दौड़ के दौरान देखने को मिला। लखनऊ के बख्शी तालाब निवासी युवक रवि कुमार पाल पैर के जख्म, दर्द और रिसते खून की परवाह किए बगैर न केवल जान लगाकर दौड़े बल्कि सफल भी हुए। जंप, बैलेंङ्क्षसग, बीम, जिगजैग बैलेंसिंग जैसी परीक्षाओं को भी पास किया। मैदान में सेना के अफसर व जवान भी रवि के हौसले की तारीफ करने से खुद को नहीं रोक पाए।
खुन्नस में साथियों ने किया था हमला
रवि के पैर में जख्म के पीछे भी एक दर्दनाक कहानी है। रवि के मुताबिक उसकी दौड़ देख उसके साथ प्रैक्टिस करने वाले लड़के खुन्नस खाने लगे। 25 जनवरी को जब वह भोर पहर दौड़ के लिए निकले तो उन पर हमला कर दिया। पैर में लोहे की रॉड से वार किया गया। उपचार के दौरान चार टांके लगे। वह दस दिन बिस्तर पर रहे। फिर धीरे-धीरे चलना शुरू किया, लेकिन भर्ती में दौडऩे का इरादा नहीं बदला। पूरे जोश, जुनून और जज्बे के साथ मंगलवार को सेना भर्ती की दौड़ के लिए मैदान में पहुंचे। असहनीय दर्द था। पैर में पट्टी बंधी थी। दौडऩे के साथ खून का प्रवाह बह निकला। फिर भी दसवें बैच की दौड़ में रवि दौड़ते गए और पहले स्थान पर रहे।
सैफई में मिला था गोल्ड मेडल
रवि ने बताया कि सेना में भर्ती होना उसका लक्ष्य है। पहली बार 2016 में कानपुर की भर्ती में दक्षता परीक्षाएं पास की, पर आयु सात दिन कम होने के कारण भर्ती नहीं हो सके। 2017 में फिर किस्मत आजमाई, मगर इस बार सीना चौड़ाई कम होने के चलते बाहर गए। 2018 की भर्ती में लिखित परीक्षा फेल हो गए।
इस बार लिखित परीक्षा में सफल हो, इसके लिए वह लखनऊ में कोचिंग कर रहे हैं। रवि यूपी एथलेटिक्स एसोसिएशन की कंट्री रेस की दौड़ में बराबर हिस्सा लेते रहे हैं। बीती एक जनवरी को सैफई में आयोजित दौड़ में प्रथम स्थान हासिल कर गोल्ड मेडल हासिल किया।