Move to Jagran APP

Raksha Bandhan 2020: बहनों ने सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान के शुभ योग में भाइयों को बांधा रक्षा सूत्र

कोरोना संक्रमण काल के चलते ऑनलाइन राखी भेजने का सिलसिला जारी रहा घरों में गिफ्ट भी पहुंचते रहे।

By Abhishek AgnihotriEdited By: Published: Mon, 03 Aug 2020 01:52 PM (IST)Updated: Mon, 03 Aug 2020 01:52 PM (IST)
Raksha Bandhan 2020: बहनों ने सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान के शुभ योग में भाइयों को बांधा रक्षा सूत्र
Raksha Bandhan 2020: बहनों ने सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान के शुभ योग में भाइयों को बांधा रक्षा सूत्र

कानपुर, जेएनएन। इस बार श्रावण मास के अंतिम सोमवार को रक्षाबंधन पर्व होने से सर्वार्थ सिद्धि और आयुष्मान का विशेष याेग बना, जिसमें बहनों ने भाइयों को रक्षासूत्र बांधकर शुभ फल प्राप्ति और दीर्घायु की कामना की। भाइयों ने भी बहनों को रक्षा का वचन देते हुए उपहार भेंट किए। वहीं कोरोना वायरस संक्रमण के चलते दूरस्थ प्रांत व शहरों में रहने वाली बहनें घर न आ पाने पर ऑनलाइन राखी भेजकर वीडियो कालिंग से भाइयों को चेहरा देखकर त्योहार की खुशियां साझा कीं।

loksabha election banner

श्रावण मास के अंतिम सोमवार को शहर के प्रमुख शिवालयों में विधि-विधान से पूजन के बाद पट को बंद कर दिया गया। सुबह 9.25 मिनट तक भद्रा समाप्ति के बाद राखी बांधने का सिलसिला शुरू हो गया। पांच महायोग में इस बार पड़ने वाला पवित्र पर्व पर बहनों ने विह्नहर्ता गणेश महाराज को राखी स्पर्श करके भाईयों की कलाई पर बांधी। बहनों ने वीडियो कॉल करके भाई को देखकर भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर पर राखी बांधकर प्रभु से कल्याण की कामना की।

कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष थोड़ा बदलाव देखने को मिला, ज्यादातर भाई-बहन ने आॅनलाइन राखी बांधी और गिफ्ट दिए। आचार्य नगर की रचना शुक्ला ने बताया कि उन्होंने ऑनलाइन झांसी और लखनऊ में रहने वाले भाइयों को राखी बांधकर पवित्र त्योहार मनाया। भाइयाें ने ऑनलाइन गिफ्ट और रुपये देकर रस्मों को पूरा किया।

धूनी ध्यान केंद्र के आचार्य अमरेश मिश्र ने बताया कि रक्षाबंधन पर्व के मनाने को लेकर भी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। पौराणिक काल में देवों और दानवों के बीच भयंकर युद्ध हुआ तो उस दौरान देवता असुरों से हारने लगे। तब सभी देव अपने राजा इंद्र के पास उनकी सहायता के लिए गए। असुरों से भयभीत देवताओं को देवराज इंद्र की सभा में देखकर इंद्रदेव की पत्नी इंद्राणी ने सभी देवताओं के हाथों पर एक रक्षा सूत्र बांधा।

माना जाता है कि इसी रक्षा सूत्र ने देवताओं का आत्मविश्वास बढ़ाया जिसके कारण वो बाद में दानवों पर विजय प्राप्त करने में सफल रहे। ठीक इसी प्रकार महाभारत काल के दौरान शिशुपाल के वध के समय भगवान कृष्ण की कलाई पर चोट लग गई। उनका खून बहने लगा तो भगवान श्रीकृष्ण की कलाई पर द्रौपदी ने तुरंत अपनी साड़ी का किनारा फाड़कर बांध दिया। तभी से इस पर्व को मनाने की शुरुआत हुई।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.