कानपुर देहात के राजपुर प्रकरण में स्वजन ने उठाए सवाल, कहा...बीमार बेटी को न दवा दी है और इंजेक्शन
बेटी होश में है और बोल रही है। तीन दिनों से जब उपचार के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ तो बेटी को आइसीयू में क्यों रखा जा रहा है। आइसीयू के बाहर दो-चार पुलिस वाले हर समय पहरा देते हैं। आइसीयू जेल जैसा लगने लगा है।
कानपुर, जेएनएन। कोतवाली देहात के राजपुर प्रकरण में पीडि़त किशोरी के स्वजन का आरोप है कि बीमार बेटी को पिछले तीन दिनों से डाक्टरों ने न दवा दी है और इंजेक्शन। यानी उनकी बेटी पूरी तरह से स्वस्थ है। बावजूद इसके पुलिस के दबाव में उसे आइसीयू में रखा गया है। जिस तरह से पुलिस का पहरा है, उससे यही लगने लगा है कि यह अस्पताल नहीं बल्कि जेल है। एलएलआर अस्पताल में भर्ती पीडि़ता के पास इस समय उसके माता-पिता के अलावा नाना भी साथ में हैं। शुक्रवार को दैनिक जागरण ने पीडि़त परिवार से इलाज के संबंध में पूछताछ की तो बताया कि 31 अगस्त की देर रात बेटी को दवा और इंजेक्शन दिए गए थे। इसके बाद उसे न तो एक भी टेबलेट दी और न इंजेक्शन। बेटी होश में है और बोल रही है। तीन दिनों से जब उपचार के नाम पर कुछ भी नहीं हुआ तो बेटी को आइसीयू में क्यों रखा जा रहा है। आइसीयू के बाहर दो-चार पुलिस वाले हर समय पहरा देते हैं। आइसीयू जेल जैसा लगने लगा है। नाना ने बताया, शुक्रवार को सीएमओ बेटी को देखने आए थे, तब उनके सामने भी यही मुद्दा रखा। उन्होंने आरोप लगाया कि अस्पताल में रखकर पुलिस एक तरह से उन्हेंंं गांव वालों व अन्य लोगों से मिलने देना नहीं चाहती।
शिकायतकर्ताओं से एसओ की थी पुरानी पहचान : पीडि़त किशोरी के नाना ने बताया कि आरोपित एसओ विनोद कुमार पूर्व में कालपी भी तैनात रहा है। फोटो वायरल के मामले में शिकायत करने वाले उनके फौजी भतीजे के परिवार से विनोद कुमार के पूर्व से संबंध थे। घटना से एक दिन पहले वे लोग एसओ से मिलने थाने आए थे। इसके बाद से ही एसओ बेटी को जेल भेजने की धमकी देने लगा था और घटना वाले दिन बिना बात वह आक्रामक हो गया।
दैनिक जागरण को किशोरी ने बताया, ऐसे पकड़ी बांह की फट गई खाल : शुक्रवार को दैनिक जागरण संवाददाता ने पीडि़त किशोरी से बातचीत की। उसने वहीं बयान दोहराए जो उसने मजिस्ट्रेटी जांच में दिए थे। बताया कि जब वह लौटने लगी तो एसओ ने उसे पीछे से पकड़कर रोकने की कोशिश की। एसओ ने दोनों हाथों से उसे कस कर पकड़ लिया। छुड़ाने की कोशिश में उसकी दोनों बाहों में खरोंचें आ गईं। हालांकि पीडि़त किशोरी के दाहिनी हाथ में लगभग दस मिलीमीटर का घाव नजर आया। बड़ा सवाल है कि एसओ ने आखिर किशोरी को कितनी मजबूती से पकड़ा कि छुड़ाने की कोशिशों में उसकी खाल तक फट गई।