शुभ प्रभात...आप सुन रहे हैं जेल रेडियाे, पेश है कैदी नंबर... की फरमाइश पर यह गीत...
जेल की चाहरदीवारी के अंदर अंधेरे में सिमटी जिंदगियों की सुबह अब अलग अंदाज में हो रहा है।
हमीरपुर, [राजीव त्रिवेदी]। ... अब तो जेल जाना पड़ेगा, जेल की रोटी खानी पड़ेगी, जेल में चक्की पिसनी पड़ेगी...। बचपन के खेल में यह कविता सभी की जुबान पर रही होगी...। लेकिन, अब एक ऐसी जेल भी है, जहां की तस्वीर कुछ अलग है। इस जेल में कैदियों की फरमाइश सुनी और सुनाई जाती है। बाहरी दुनिया से बेदखल ऊंची चाहरदीवारी के अंदर सलाखों के पीछे बैरकों के अंधेरे में सिमटी जिंदगियों में अब सवेरा कुछ बदले रूप में हो रहा है।
जी हां, ये जेल है हमीरपुर की जिला जेल, जहां पर 'शुभ प्रभात...आप सुन रहे हमीरपुर जिला कारागार का रेडियो।' इस उद्घोषणा के साथ ही शुरू होता है भजनों का सिलसिला, जो बैरकों में लगे साउंड सिस्टम पर गूंजते हैं। भगवान के ध्यान के साथ कैदी भक्तिभाव में डूब जाते हैं। पिछले 15 दिनों में दोपहर होते-होते जेल के इस रेडियो के प्रति कैदियों के बीच उत्साह तब और बढ़ जाता है जब उनकी फरमाइश पर गीत बजते हैं। कुछ इस अंदाज में-'अब पेश है बैरक नंबर 12 के कैदी नंबर... की फरमाइश पर यह गीत..।
मनोरंजन के साथ जागरूकता की भी पहल
कार्यक्रम केवल मनोरंजन के ही नहीं पेश किए जाते बल्कि शाम को विशेषज्ञों के जरिए स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जाता है। सरकारी योजना और विधिक सहायता की जानकारी से जुड़े आडियो सुनाए जाते हैं। हल्के-फुल्के मनोरंजन के साथ विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए कैदियों की मनोदशा सुधारने और व्यवहार में परिवर्तन के लिए शासन की मंशा पर यह रेडियो सेवा 18 सितंबर से शुरू हुई। कैदियों को सुबह एक घंटे भजन तो दोपहर में फरमाइशी गीतों के साथ शाम को विशेषज्ञों का इंटरव्यू सुनने को मिलते हैं। सभी बैरकों में स्पीकर लगवाए गए हैं। जेल के कर्मचारी उद्घोषक की भूमिका निभाते हैं। इस व्यवस्था से कैदियों में खासी खुशी है।
प्रत्येक बैरक में लगाए गए हैं स्पीकर
जेलर प्रमोद कुमार त्रिपाठी बताते हैं कि 15 बैरकों में स्पीकर लगवाए हैं। इनके माध्यम से आवश्यक अनाउंसमेंट के साथ ही कैदियों के मनोरंजन के लिए रेडियो व्यवस्था है। सुबह सात से आठ बजे तक भजन सुनाए जाते हैं। इसके बाद प्रत्येक बैरक से एक कैदी की पसंद के दो गानों की फरमाइश रजिस्टर में अंकित की जाती है। यह भी देखा जाता है कि फरमाइश का गाना प्रसारण योग्य है या नहीं। दोपहर दो से साढ़े तीन बजे तक फरमाइशी गीत कंप्यूटर के माध्यम से डाउनलोड कर सुनाए जाते हैं। शाम को किसी डॉक्टर का इंटरव्यू प्रसारित कर किसी रोग के लक्षण व बचाव आदि की जानकारी दी जाती है।
मां पर आधारित गीत सुनने की सबसे अधिक चाहत
रेडियो संचालन का जिम्मा संभाल रहे जेल में शिक्षक अखिलेश शुक्ला के मुताबिक फरमाइशों में कैदियों की सबसे अधिक चाहत मां पर आधारित गीत सुनने की होती है। देशभक्ति के गीत भी सुनने की ललक होती है।