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बैडमिंटन के खिलाडिय़ों से पहले उनके कोच को दिया जाए प्रशिक्षण : पुलेला गोपीचंद Kanpur News

मुख्य बैडमिंटन कोच बोले खेलकूद के लिए अभी और सुविधाओं की जरूरत उत्तर प्रदेश में अपार क्षमताएं।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 29 Jun 2019 02:44 PM (IST)Updated: Sun, 30 Jun 2019 09:48 AM (IST)
बैडमिंटन के खिलाडिय़ों से पहले उनके कोच को दिया जाए प्रशिक्षण : पुलेला गोपीचंद Kanpur News
बैडमिंटन के खिलाडिय़ों से पहले उनके कोच को दिया जाए प्रशिक्षण : पुलेला गोपीचंद Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद का मानना है कि बैडमिंटन को मजबूती देने के लिए अच्छे प्रशिक्षकों की दरकार है। खिलाडिय़ों से पहले उन्हें दिशा दे रहे कोच को प्रशिक्षण मिले, ताकि वह खिलाडिय़ों को प्रशिक्षित करने के साथ उन्हें देश के लिए पदक लाने को प्रेरित कर सकें। उन्होंने बैडमिंटन के लिए अच्छा सिस्टम बनाए जाने और खेलकूद की सुविधाएं बढ़ाने पर जोर दिया।

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आइआइटी के दीक्षा समारोह में डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से नवाजे गए गोपीचंद का मानना है कि किसी भी खेल में सफलता खिलाड़ी की रुचि पर आधारित होती है। किसी को यूं ही खिलाड़ी नहीं बनाया जा सकता जब तक उसके अंदर खेल के प्रति कुछ कर गुजरने की सोच न हो। खिलाड़ी को उतनी ही गंभीरता से प्रशिक्षण लेना चाहिए जैसे वह स्कूल कॉलेज के दौरान पढ़ाई करते हैं।

उन्होंने कहा कि बैडमिंटन को लेकर बच्चों का रुझान बढ़ा है। जहां पांच छह साल पहले जूनियर वर्ग में 40 से 50 खिलाड़ी ही मैदान में खेलने के लिए आया करते थे, आज दो हजार आ रहे हैं। इन्हें सही दिशा देने की जरूरत है। एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है कि दक्षिण भारत से ही बैडमिंटन के खिलाड़ी निकल रहे हैं। हां, वहां संख्या अधिक हो सकती है। उत्तर प्रदेश में भी अपार क्षमताएं हैं।

तकनीक देने के साथ समाज को मिठास भी बांटें टेक्नोक्रेट : सुधा मूर्ति

इंफोसिस फाउंडेशन की चेयरपर्सन व लेखिका पद्मश्री सुधा मूर्ति ने कहा कि आइआइटी कानपुर से उनका नाता बहुत पुराना है। यहां पर दी जाने वाली शिक्षा दुनिया को बेहतरीन टेक्नोक्रेट दे रही है। यहां के छात्रों की जिम्मेदारी है कि वह तकनीक के साथ समाज के दायित्वों का निर्वाह करते हुए लोगों के बीच सौहार्द व समर्पण भाव की मिठास बांटें। आइआइटी के दीक्षा समारोह में डॉक्टर ऑफ साइंस की उपाधि से सम्मानित पद्मश्री सुधा मूर्ति ने कहा कि केवल एक टेक्नीशियन होना ही काफी नहीं है।

इससे आगे बढ़कर सोचने की जरूरत है। बीटेक, एमटेक व पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के बाद जब छात्र समाज के बीच पहुंचते हैं तो उनकी जिम्मेदारी और अधिक बढ़ जाती है। आइआइटी में पढऩे वाले छात्रों को आधुनिक लैब, लाइब्रेरी, इंटरनेट की सुविधाएं मिलने के साथ विश्वस्तरीय प्रोफेसर का मार्गदर्शन मिलता है। यहां से निकलने के बाद छात्रों को चाहिए कि वह अपने काम के साथ समाज को कुछ देने की चाह भी रखें। इसके लिए कठिन परिश्रम व सतत अध्ययन के साथ अपने अंदर नरम भाव रखने की जरूरत है।

देश को मजबूत कर रहे हैं आइआइटी और डीआरडीओ : डॉ. टेसी थॉमस

देश का सैन्य ढांचा और मजबूत करने के लिए वैज्ञानिक व टेक्नोक्रेट अनुसंधान कर रहे हैं। आइआइटी और डीआरडीओ साथ काम कर रहे हैं। यह बात शुक्रवार को अग्नि-4 की परियोजना निदेशक रहीं मिसाइल वूमन डॉ. टेसी थॉमस ने कही। वे शुक्रवार को आइआइटी के दीक्षा समारोह में डॉक्टर ऑफ साइंस की मानद उपाधि से सम्मानित हुई हैं। डीआरडीओ के एयरोनॉटिकल सिस्टम्स की डायरेक्टर जनरल डॉ. थॉमस ने बताया कि आइआइटी कानपुर के साथ कुछ बड़े प्रोजेक्ट पर काम चल रहा है।

जल्द ही नए डिफेंस प्रोजेक्ट पर भी साथ काम करेंगे। सैन्य उपकरण, मिसाइल आदि पावरफुल बनाने की दिशा में काम हो रहा है। देश को आइआइटी से काफी उम्मीदें हैं। डिफेंस कॉरीडोर के तहत आइआइटी के साथ संयुक्त शोध करेंगे। इस क्षेत्र में कई स्टार्टअप भी आ रहे हैं। इसका लाभ उद्योग व छात्र, दोनों को मिलेगा। उन्होंने कहा, आइआइटी प्रोफेसरों व छात्रों ने मानवरहित यान व मिनी ड्रोन जैसे कई उपकरण तैयार कर लिए हैं। इनका इस्तेमाल भविष्य में होने की पूरी संभावना है।


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