दम तोड़ गए पुल और फ्लाईओवर के प्रोजेक्ट
शहर को यातायात जाम से निजात दिलाने के लिए खूब लंबे चौड़े दावे हुए। पुल और फ्लाईओवर के प्रोजेक्ट बने, लंबी चौड़ी बैठकें हुई पर किसी भी योजना को आज तक धरातल नहीं मिल सका।
जागरण संवाददाता, कानपुर : शहर को यातायात जाम से निजात दिलाने के लिए खूब लंबे चौड़े दावे हुए। पुल और फ्लाईओवर के प्रोजेक्ट बने, लंबी चौड़ी बैठकें हुई पर किसी भी योजना को आज तक धरातल नहीं मिल सका। चाहे वह कोपरगंज से जूही तक फ्लाईओवर का प्रोजेक्ट हो या फिर दादा नगर पुल के समानांतर पुल का प्रोजेक्ट। जरीब चौकी क्रासिंग पर मल्टीडायमेंशन ओवरब्रिज के प्रोजेक्ट को सैद्धांतिक सहमति तो मिली पर मंजूरी नहीं मिली। फ्लाईओवर की शासन में अटकी फाइल
जूही - कोपरगंज एलीवेटेड फ्लाईओवर का का निर्माण 228 करोड़ रुपये से होना है। तीन साल पहले प्रोजेक्ट बना था तब लागत 206 करोड़ रुपये आंकी गई थी। पिछले साल दोबारा डीपीआर बनाई । सेतु निगम ने शासन को प्रोजेक्ट भेजा पर फाइल वहां दब गई। जबकि फोर लेन एलीवेटेड फ्लाईओवर के बन जाने पर दक्षिण इलाके के लोग आसानी से मालरोड, बड़ा चौराहा, घंटाघर आदि जगहों पर आ जा सकते थे। जरीब चौकी फ्लाईओवर भी फंसा जरीब चौकी क्रासिंग पर प्रस्तावित फ्लाईओवर को भी पिछले साल मुख्य सचिव ने सैद्धांतिक सहमति दे दी थी पर हुआ कुछ नहीं। इस योजना पर करीब एक अरब रुपये खर्च होने हैं। कई बार शासन स्तर पर बैठकें हुई। पुल की उपयोगिता दर्शाई गई पर मंजूरी क्यों नहीं मिली किसी को भी पता नहीं है। जबकि क्रासिंग पर फ्लाईओवर के लिए रेलवे पहले ही स्वीकृति दे चुका है। अगर यह बन जाए तो फिर कालपी रोड और जीटी रोड पर लगने वाला जाम समाप्त हो जाएगा।
दादानगर समानांतर पुल पर चुप्पी
दक्षिण इलाके के लोगों को सिविल लाइंस, बड़ा चौराहा, घंटाघर आने आने में अभी बहुत दिक्कत होती है, क्योंकि अभी जो पुल है वह वन वे है। इस समस्या के समाधान के लिए ही समानांतर पुल बनाया जाना है। दो साल पहले प्रोजेक्ट भेजा गया था लेकिन स्वीकृति नहीं मिली।