इंडोनेशिया की मदद से देश में बढ़ेगा ताड़ के तेल का उत्पादन
एचबीटीयू के कुलपति से मिले इंडोनेशिया के राजदूत एचई सिद्धार्थो आर सुरयोदीपुरो भारत के साथ तेल निकालने की तकनीक की जाएगी साझा।
कानपुर, जागरण संवाददाता। दुनिया भर को ताड़ का तेल निर्यात करने वाला इंडोनेशिया अब भारत में इसके उत्पादन में मदद करेगा। तेल निकालने की आधुनिक तकनीक वह भारत के साथ साझा करेगा। सोमवार को हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के कुलपति प्रो. एनबी सिंह से मिलने आए इंडोनेशिया के राजदूत एचई सिद्धार्थो आर सुरयोदीपुरो ने पत्रकारों से यह बातें साझा कीं।
उन्होंने कहा कि तकनीक विकसित करने व उपयोग करने में भारत आगे है। तकनीक के जरिये भारत को ताड़ के तेल का उत्पादन करने में मदद मिलेगी। बड़ी तेल कंपनियां समुद्र किनारे लीज पर जमीनें ले रही हैं। उन्होंने एचबीटीयू के ऑयल टेक्नोलॉजी विभाग की सर्फेटेंट लैब, रिसर्च लैब, प्रोसेस लैब, पोस्ट ग्रेजुएट लैब, अंडर ग्रेजुएट लैब देखी। बोले, भविष्य में एचबीटीयू के साथ इंडोनेशिया के विश्वविद्यालय व शिक्षण संस्थान शोध कार्य आदान-प्रदान करेंगे।
अक्टूबर में होगा अंतरराष्ट्रीय सेमिनार
राजदूत ने यहां अंतरराष्ट्रीय सेमिनार व कार्यशाला की इच्छा व्यक्त की। इस पर कुलपति ने कहा कि तैयारी के छह महीने का समय मिलना चाहिए। कुलपति ने उन्हें एचबीटीयू में पांच फीसद विदेशी कोटा की जानकारी दी। इसके अलावा इंडस्ट्री ट्रेनिंग, प्रोफेसर चेयर इंडोनेशिया, रिसर्च डेवलपमेंट एक्टिविटी व टेक्नोलॉजी के कोर्सों के बारे में भी बताया।
ताड़ के लाल तेल का सीधे कर सकते हैं प्रयोग
ऑयल टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रो. आरके त्रिवेदी ने प्रस्ताव रखा कि ताड़ के लाल तेल को बिना रिफाइंड किए सीधे प्रयोग में लाया जा सकता है। इसका रंग स्वाभाविक रूप से लाल होता है जिसमें विटामिन ए समेत अन्य तत्व पाए जाते हैं। रिफाइंड करने से तत्व कम होने के साथ मात्रा पर भी असर पड़ता है। राजदूत ने इस प्रस्ताव पर विचार करने की बात कही। इस दौरान इंडोनेशिया दूतावास के सेकेंड सेक्रेट्री नोवियंद्री व एजुकेशन एंड कल्चरल अटैची लेस्टियानी व प्रति कुलपति प्रो. करुणाकर सिंह, प्रो. दीपक श्रीवास्तव, प्रो. अलख कुमार सिंह, डॉ. पीकेएस यादव व ऑयल टेक्नोलॉजिस्ट एसोसिएशन के महासचिव डीएन तिवारी मौजूद रहे।
क्या है ताड़ का तेल
ताड़ का तेल इसके फल से निकाला जाता है। इसका रंग लाल होता है क्योंकि इसमें बीटा कैरोटीन (विटामिन ए) शामिल रहता है। इसे पॉम ऑयल भी कहते हैं। देश में कुल खपत का दो तिहाई तेल आयात किया जाता है। इसमें 70 फीसद पॉम ऑयल होता है।