प्रदूषण से मुक्ति को केंद्र सरकार ने बढ़ाए कदम, कानपुर व लखनऊ में नॉलिज क्लस्टर बनाने का प्रस्ताव
आइआइटी में प्रदूषण को लेकर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर डा. अरबिंदा मित्रा ने ने जानकारी दी।
कानपुर, जेएनएन : कानपुर को प्रदूषण मुक्त करने के लिए केंद्र सरकार आगे आई है। सरकार के प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर डा. अरबिंदा मित्रा ने आइआइटी को कानपुर व लखनऊ में नॉलिज क्लस्टर बनाने का प्रस्ताव दिया है। इसके तहत इन शहरों में बढ़ते प्रदूषण के कारण, उससे सुरक्षा के उपाय, नागरिकों पर पडऩे वाले प्रभाव का अध्ययन किया जाएगा। आइआइटी इस प्रोजेक्ट का समन्वयक होगा, जबकि जिला प्रशासन, चिकित्सा विभाग व दूसरे तकनीकी संस्थानों को जोड़कर प्रदूषण रोकने की योजना तैयार की जाएगी।
आइआइटी में प्रदूषण को लेकर आयोजित राष्ट्रीय सेमिनार में विशिष्ट अतिथि डा. अरबिंदा मित्रा ने कहा कि प्रदूषण के परिणामों का विश्लेषण करने के बाद पता लगाया जाएगा कि किन क्षेत्रों में अधिक है व उसके क्या-क्या करण हैं। आइआइटी उसे नियंत्रित करने के लिए तकनीकी इजाद करेगा। इसमें लखनऊ के अग्रणी तकनीकी शिक्षण संस्थानों की मदद भी ली जाएगी। प्रदूषण से स्वास्थ्य पर हो रहे दुष्प्रभाव के संबंध में केस स्टडी की जाएगी। इसके लिए पीजीआइ व किंज जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी से मदद ली जा सकती है। इस प्रोजेक्ट को देश के नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम से जोड़कर देखा जा रहा है।
स्कूल से सिविक सेंस सिखाया जाए
डा. मित्रा का मानना है कि प्रदूषण को कम करने के लिए सिविक सेंस भी जरूरी है। इसका पाठ स्कूल स्तर से पढ़ाया जाना चाहिए। जैसे कूड़ा डेस्टबिन में फेंकना चाहिए, वाहनों को रेड लाइट पर बंद रखना चाहिए, अपनी लेन में चलना चाहिए, घर के आस-पास अगर धूल उड़ रही हो तो पानी का छिड़काव करना चाहिए, लकड़ी व कूड़ा नहीं जलाना चाहिए इत्यादि।
देश में वैज्ञानिकों की कमी इंस्पायर करेगा पूरा
डा. मित्रा ने बताया कि देश में वैज्ञानिकों की कमी है। दस लाख में 220 वैज्ञानिक हैं, जबकि विदेशों में यह संख्या 1500 से 2000 के करीब है। रिसर्च करने वालों की संख्या में इजाफा करने के लिए स्कूली बच्चों के लिए इंस्पायर योजना चलाई गई है। इस योजना से दस लाख बच्चे जुड़ चुके हैं। रिसर्च केवल लैब तक ही सीमित न रहे इसके लिए फंड बढ़ाने की तैयारी है। दस वर्ष में तीन गुना रिसर्च फंड बढ़ाए गए हैं। हमारे देश की खासियत यह है कि यहां तकनीकी सस्ती व टिकाऊ होती है, इसलिए विदेशी यहां इन्वेस्ट कर रहे हैं।