जीएसवीएम के प्राचार्य ने देखा एलएमओ प्लांट
लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में मानक दरकिनार कर लिक्विड मेडिकल आक्सीजन प्लांट बनाया गया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान में मानक दरकिनार कर लिक्विड मेडिकल ऑक्सीजन प्लांट (एलएमओ) लगाए जाने की खबर दैनिक जागरण के 31 मार्च के अंक में प्रमुखता से प्रकाशित हुई थी। इसका संज्ञान लेकर जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रो. आरबी कमल बुधवार सुबह हकीकत परखने के लिए वहां पहुंचे। उन्होंने एलएमओ प्लांट एवं जेनरेटर कक्ष का जायजा लिया।
प्राचार्य ने एलएमओ प्लांट से महज चंद कदमों की दूरी पर जेनरेटर कक्ष एवं डीजल स्टोरेज किए जाने पर सवाल उठाए। प्राचार्य प्रो. आरबी कमल का कहना है कि एक तरफ आवासीय परिसर है, जबकि दूसरी तरफ जनरेटर कक्ष है। इसके बावजूद एनओसी मिलने पर एक्सप्लोसिव विभाग की कार्य प्रणाली पर सवालिया निशान लगता है। इसकी रिपोर्ट शासन को भेजने की बात भी कही है। उनके साथ न्यूरो सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष सिंह भी थे।
अस्पतालों में अग्नि सुरक्षा के उपायों की होगी जांच
जागरण संवाददाता, कानपुर : हृदय रोग संस्थान में आग लगने की घटना के बाद अब शासन सतर्क हो गया है। मुख्य सचिव ने सभी सरकारी अस्पतालों में 15 दिनों के अंदर अग्निशमन के उपाय करने के आदेश दिए हैं। साथ ही इन अस्पतालों की जांच भी की जाएगी।
हृदय रोग संस्थान में आग की घटना के बाद शासन ने प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय कमेटी गठित की है। कमेटी ने पाया कि संस्थान में अग्निशमन के उपाय ध्वस्त हैं। न तो वहां पर फायर अलार्म सिस्टम काम कर रहा था, न ही फायर इंस्टीग्यूसर मशीनें। प्रमुख सचिव की रिपोर्ट के बाद अब मुख्य सचिव राजेंद्र कुमार तिवारी ने सभी मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों, चिकित्सा संस्थानों में जांच के आदेश दिए हैं। इसमें अग्निशमन विभाग और संबंधित विभागों के अफसर जांच करेंगे। अब कर्मचारियों को भी आपदा प्रबंधन के गुर सिखाए जाएंगे। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज, हैलट अस्पताल सहित अन्य अस्पतालों में अग्निशमन से जुड़ी व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज में बनेगा फायर स्टेशन
जागरण संवाददाता, कानपुर : आगजनी की घटनाओं को देखते हुए जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज अस्पताल में फायर स्टेशन की स्थापना होगी। प्राचार्य आरबी कमल जल्द ही प्रस्ताव शासन को भेजेंगे। प्रो. आरबी कमल का कहना है कि पांच अस्पताल एवं दो संस्थान हैं। यहां बड़े-बड़े उपकरण लगे हैं, जो बिजली से चलते हैं। ऐसे में कभी भी शार्ट सर्किट हो सकता है। आग भी लग सकती है। डॉक्टरों का काम मरीजों का इलाज करना है। इसलिए आग की घटनाओं में बचाव एवं राहत के लिए फायर स्टेशन की जरूरत है। जहां 24 घंटे फायर सेफ्टी अफसर एवं उनकी पूरी टीम तैनात रहेगी। उसका प्रस्ताव महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा के माध्यम से शासन को भेजा है। इन पदों की स्वीकृति एवं फायर स्टेशन की स्थापना के लिए हैलट के प्राइवेट 50 वार्ड के पास ही जगह भी चिन्हित की है।
शासन को इलेक्ट्रिकल, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं सिविल इंजीनियरिग की पूरी यूनिट बनाने का भी प्रस्ताव भेजा गया है, ताकि यहां वर्कशाप बनाकर पूरा कार्य कराया जा सके। वर्तमान में यहां एक जूनियर इंजीनियर इलेक्ट्रिकल एवं एक जेई सिविल की तैनाती है। उनके जिम्मे सभी मेडिकल कॉलेजों के कार्य हैं।