PM Modi Kanpur Visit : प्रधानमंत्री बोले- गंगा में गिर रहे टेनरी का प्रदूषण रोकना हमारी बड़ी उपलब्धि
मोदी के मुताबिक यह बड़ा कदम लेकिन अभी काफी काम होना बाकी शहर में 283 टेनरी गीला कार्य करती हैं इनसे ही गंगा होतीं प्रदूषित।
कानपुर, जेएनएन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानपुर की टेनरी के प्रदूषण में कमी आने और पेपर मिलों से जीरो वेस्ट डिस्चार्ज को नमामि गंगे परियोजना की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने यह भी जोड़ा कि अभी सुधार की दिशा में काफी काम होने बाकी हैं। प्रधानमंत्री ने केंद्रीय मंत्रालय से लेकर निचले स्तर तक सभी को गंगा केंद्रित सोच विकसित कर उसके आधार पर कार्य करने के लिए भी कहा है। इसमें यह तो साफ ही है कि जो जिला गंगा समितियां अभी तक सिर्फ नाम की हैं, उन्हें अब काम भी करना होगा।
गंगा समितियों ने नहीं किया काम
गंगा के प्रदूषण को लेकर देश क्या विदेश तक चर्चा में आ चुकीं कानपुर की टेनरियों को प्रधानमंत्री ने कानपुर की धरती से ही शनिवार को बड़ा संदेश दिया। उन्होंने कहा कि कानपुर में गंगा प्रदूषित है। कुछ वर्ष पहले तो यहां लोग गंगा में हाथ डालने से भी बचते थे लेकिन 2014 में नमामि गंगे प्रोजेक्ट के आने के बाद एक के बाद एक कदम के उठाने की शुरुआत हुई। जिला गंगा कमेटियों का गठन हुआ लेकिन ये समितियां काम की नहीं सिर्फ नाम की रहीं। ये समितियां सिर्फ शहर नहीं गांव में भी गठित की गईं, लेकिन इन्हें सक्रिय नहीं किया गया। कानपुर में गंगा का प्रदूषण किस हद तक बढ़ा, इसका अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि राष्ट्रीय गंगा परिषद की पहली बैठक की बात हुई तो उसके लिए कानपुर को ही चुना गया।
मात्र 13 टेनरी ही करती हैं सूखा कार्य
गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए जो कदम उठाए गए, उसमें बड़ी संख्या में टेनरियों पर कार्रवाई की गई। शहर की 402 टेनरियों में से मात्र 13 टेनरी ही सूखा कार्य करती हैं। इसमें 38 बुरी तरह क्षतिग्र्रस्त होने से कई वर्षों से नहीं चल रहीं। वहीं 68 टेनरियां या तो एनजीटी के आदेशों के चलते स्थायी रूप से बंद हैं या खुद ही टेनरी संचालकों ने बंद कर रखी हैं।
ट्रीटमेंट प्लांट की भी स्थिति अच्छी नहीं
ट्रीटमेंट प्लांट की स्थिति भी अच्छी नहीं है। वाजिदपुर में 36 एमएलडी के ट्रीटमेंट प्लांट में 27 एमएलडी का हिस्सा घरेलू सीवरेज के लिए है तो नौ एमएलडी का हिस्सा टेनरी के पानी के लिए है लेकिन यहां 12 एमएलडी से कम पानी नहीं आता। ज्यादा आ रहे पानी को नालों के जरिए गंगा में बहा दिया जाता है। इसका असर सीधा गंगा की शुद्धता पर पड़ता है। इसलिए अब यहां 617 करोड़ रुपये से वाजिदपुर में 20 एमएलडी का कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट बनाया जा रहा है। इसके अलावा सहायक नदियों के लिए पनका में 80 करोड़ रुपये से 30 एमएलडी का प्लांट बनाया जा रहा है।
गंगा में घुलित ऑक्सीजन की बढ़ी है मात्रा
इनके अलावा कई ऐसे कॉमन इफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट हैं जिन्हें बना तो दिया गया लेकिन उनका पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। वाजिदपुर में बन रहा 43 एमएलडी का ट्रीटमेंट प्लांट पूरी क्षमता से नहीं चल पा रहा क्योंकि उसे उतना पानी नहीं मिल रहा। बनियापुरवा में 15 एमएलडी का प्लांट बन रहा है लेकिन इसकी मात्र पांच एमएलडी क्षमता का उपयोग हो रहा है। बिनगवां में 210 एमएमडी के प्लांट में मात्र 160 एमएलडी क्षमता का उपयोग हो पा रहा है। हालांकि इतना होने के बाद भी गंगा का प्रदूषण पिछले कुछ समय में काफी कम किया गया। घुलित ऑक्सीजन की मात्रा आठ मिलीग्र्राम प्रति लीटर से ऊपर हो गई है। बायो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड का स्तर तीन मिलिग्र्राम प्रतिलीटर के आसपास है जो गंगा के लिए पहले से बेहतर है।