बांदा में भी है एक थ्री इंडियट्स का रैंचो, जुगाड़ तकनीक से किया ऐसा आविष्कार Kanpur News
बांदा नरैनी के ग्रेजुएट मजदूर विनय कुमार को विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद लखनऊ ने पुरस्कृत किया है।
बांदा, [जागरण स्पेशल]। बहुचर्चित फिल्म थ्री इडियट्स तो याद होगी न आपको, इसमें अभिनेता आमिर खान ने रैंचो का किरदार निभाते हुए संदेश दिया था काबिल बनो कामयाबी तो झक मारकर आएगी। इसी को आत्मसात किया बांदा के एक ग्रेजुएट पास मजदूर ने। उसकी एक खोज ने उसे थ्री इडियट्स का रैंचो या फिर कहें फुनसुख बांगड़ू जैसा बना दिया है। भले ही उसने इंजीनियरिंग की पढ़ाई नहीं की है लेकिन उसका आविष्कार अब किसानों के लिए मददगार साबित हो रहा है।
ऐसा है विनय का बीता कल
प्रतिभा संसाधनों की मोहताज नहीं होती। मन में कुछ कर गुजरने का जज्बा है तो बिना सुविधा भी वह सब कुछ किया जा सकता है, जो मन में ठाना है। कुछ ऐसे ही हैं नरैनी तहसील के ग्राम छतफरा निवासी 22 वर्षीय विनय कुमार..। उनके पिता रामहित राजपूत और उनकी मां भी मनरेगा मजदूर हैं। बकौल विनय, ङ्क्षहदी और भूगोल से स्नातक किया लेकिन नौकरी नहीं मिली। इसपर उसने मनरेगा व मकान निर्माण कार्य में मजदूरी शुरू कर दी। माता-पिता को फसल की सफाई करते समय जी-तोड़ मेहनत करनी पड़ती थी। इसे आसान करने का ख्याल मन में आया।
खाली ड्रम से बना दी छन्न मशीन
स्नातक पास विनय ने ऐसा आविष्कार कर दिया, जो किसानों के लिए मददगार बन गया है। उसने जुगाड़ तकनीक से ऐसी छन्ना मशीन बनाई है, जिससे गेहंू, चना, मंूग सहित अन्य फसल आसानी से साफ की जा सकती है। उन्होंने बताया कि घर में खाली ड्रम था, हैंडल और जाल का जुगाड़ किया और छन्ना मशीन बना दी। विज्ञान प्रौद्योगिकी परिषद लखनऊ ने पहले इस मॉल का काम वीडियो में फिर भी प्रत्यक्ष देखा। परिषद ने विनय को 20 हजार रुपये का पुरस्कार देकर मशीन उनके नाम रजिस्टर्ड कर ली।
लागत साढ़े पांच हजार, दिन भर का काम दो घंटे में
विनय ने लोहे के ड्रम में दोनों तरफ बेयङ्क्षरग लगाकर बेलनाकार आकृति बनाई है। इसके ऊपर अलग-अलग साइज की दो जालियां लगाई गई हैं। घुमाने के लिए हैंडल है। अनाज को एक तरफ से बेलनाकार ड्रम पर डाला जाता है। हैंडल घुमाने से अच्छा अनाज और गंदगी जाल से छनकर अलग हो जाती है। फसल के अनुरूप साइज का जाल फिट किया जा सकता है। इसे बनाने में करीब साढ़े पांच हजार रुपये खर्च हुए हैं। मशीन से दिन भर की मजदूरी का काम दो घंटे में खत्म हो जाता है।
तैयार कर चुके हैं दो मशीनें
विनय अब तक दो छन्ना मशीनें तैयार कर चुके हैं। एक मशीन किसान को प्रयोग करने के लिए दी गई है, ताकि खामी मिलने पर उसे दूर किया जा सके। अभी तक खामी न मिलने पर इसके कॉमर्शियल प्रयोग किए जाने की तैयारी शुरू हो गई है। विनय बताते हैं कि थ्रेसर से कतरने के बाद भी कई बार अनाज साफ नहीं होता। बाजार ले जाने पर फिर छानना पड़ता था। बड़ी मेहनत लगती थी। छन्ना मशीन यह काम आसानी से करेगी। गेहंू, चना व मंूग के लिए अलग-अलग जाल है। जरूरत के हिसाब से इसे बदला जा सकता है।
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