घटिया निर्माण, सुपुर्दगी लेने से इंकार
जीएसवीएम मेडिकल कालेज का फार्मेसी भवन मानक पर खरा नहीं उतरा। घटिया निर्माण कार्य को लेकर फार्मेसी विभागाध्यक्ष ने भवन सुपुर्दगी में लेने से इंकार कर दिया।
जागरण संवाददाता, कानपुर : जीएसवीएम मेडिकल कालेज का फार्मेसी भवन मानक पर खरा नहीं उतरा। घटिया निर्माण कार्य को लेकर फार्मेसी विभागाध्यक्ष ने भवन सुपुर्दगी में लेने से इंकार कर दिया। उन्होंने आइआइटी से जांच की मांग उठाई तो प्राचार्य ने हरकोर्ट बटलर प्राविधिक विश्वविद्यालय (एचबीटीयू) के सिविल इंजीनिय¨रग विभाग से जांच कराई। इसमें कई गड़बड़ियां उजागर हुई हैं।
पूर्ववर्ती सरकार ने जीएसवीएम के फार्मेसी विभाग को अपग्रेड करने का निर्णय लिया था, ताकि यहां बीफार्मा की पढ़ाई हो सके। शासन की पहल पर जीएसवीएम के प्राचार्य ने जेके कैंसर संस्थान के पीछे कॉलेज ऑफ नर्सिग परिसर स्थित फार्मेसी विभाग के जर्जर भवन के जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भेजा था। इसके लिए शासन ने वर्ष 2015 में 2.17 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दिए। कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश समाज कल्याण निर्माण निगम (यूपी सिडको) को नामित कर दिया। कार्यदायी संस्था ने कार्य का जिम्मा स्थानीय ठेकेदार को सौंप दिया। मई 2016 में पहली किश्त के रूप में 82 लाख रुपये जारी किए गए। इसके बावजूद ठेकेदार ने जीर्णोद्धार कार्य शुरू नहीं किया। फार्मेसी विभागाध्यक्ष के आपत्ति जताने पर प्राचार्य ने उनकी अगुवाई में तीन सदस्यीय कमेटी बना दी, जिसमें फार्मेसी विभाग की डॉ. अमिता तिलक एवं डॉ.रंजना शर्मा को भी रखा गया। कमेटी को फार्मेसी भवन का निरीक्षण कर कार्य प्रगति रिपोर्ट देनी थी। पहले निरीक्षण में कार्य शुरू न होने की रिपोर्ट प्राचार्य को दी। इस पर दबाव पड़ने पर ठेकेदार ने कार्य शुरू किया। उसके कुछ दिन बाद बगैर कमेटी के निरीक्षण रिपोर्ट के दूसरी किश्त जारी कर दी। ऐसे में ठेकेदार ने आधा-अधूरा कार्य किया। जब प्राचार्य ने भवन हैंडओवर का निर्देश दिया तो फार्मेसी विभागाध्यक्ष ने कार्य की गुणवत्ता पर एतराज जताते हुए लेने से इंकार कर दिया। साथ ही जीर्णोद्धार कार्य की जांच आइआइटी के इंजीनियरों से कराने के लिए पत्र भेजा। इस पर प्राचार्य ने एचबीटीयू के सिविल इंजीनिय¨रग विभाग को पत्र लिखा।
एचबीटीयू की जांच में मिली गड़बड़ी
दस दिन पहले जांच के लिए आई एचबीटीयू की टीम ने जांच में पाया कि फार्मेसी भवन की छत की मरम्मत नहीं हुई है इसलिए भवन के पहले तल पर निर्माण नहीं हो सकता है। किसी प्रकार का निर्माण कराने पर छत ढह सकती है। दीवारों में भी जगह-जगह दरारें आ गई हैं। इसकी सीढि़यां टूटी थीं। मानक के अनुसार कोई निर्माण कार्य नहीं हुआ।
बोले जिम्मेदार
कार्य प्रगति कमेटी की रिपोर्ट के बगैर ठेकेदार को पूरा भुगतान कर दिया गया। कई कार्य मानक के अनुरूप नहीं हुए हैं। इसलिए भवन लेने से इंकार कर दिया है। काम मानक के अनुरूप होने पर ही भवन को अपनी सुपुर्दगी में लेंगे। - प्रो. आरएन ठाकुर, विभागाध्यक्ष, फार्मेसी, जीएसवीएम।