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जानिए, बच्चों को किस तरह तेजी से जकड़ रहा टाइप-2 डायबिटीज, प्रदूषण भी अहम वजह Kanpur News

शहर में प्रदूषण के कहर से 15-20 वर्ष के बच्चों को शुगर हो रहा है।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 14 Nov 2019 01:30 PM (IST)Updated: Thu, 14 Nov 2019 04:09 PM (IST)
जानिए, बच्चों को किस तरह तेजी से जकड़ रहा टाइप-2 डायबिटीज, प्रदूषण भी अहम वजह Kanpur News
जानिए, बच्चों को किस तरह तेजी से जकड़ रहा टाइप-2 डायबिटीज, प्रदूषण भी अहम वजह Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। प्रदूषण का स्तर लगातार बढ़ रहा है। पर्यावरण में बढ़ता पीएम 2.5 और डीजल पार्टिकुलेट मैटर (डीपीएम) का स्तर हमारे एंडोक्राइन सिस्टम (हार्मोंस संतुलन) को बिगाड़ रहा है। हार्मोंस ग्रंथियों की कार्यप्रणाली पर असर पडऩे से मधुमेह (शुगर) का स्तर तेजी से बढ़ रहा है। 60 वर्ष की आयु में होने वाली बीमारी 15-20 वर्ष के बच्चों को चपेट में ले रही है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरी इसे गंभीर संकेत मानती हैं।

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मधुमेह में प्रदूषण भी अहम कारण

विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरी ने कहा कि टाइप-2 मधुमेह पीडि़तों के बढऩे के पीछे अहम कारण प्रदूषण है। डायबिटीज के बढ़ते मामलों को लेकर वर्ष 2017 में एक रिपोर्ट आई थी। उसके मुताबिक हवा के सूक्ष्म रासायनिक कणों, कीटनाशक एवं उर्वरकों के साथ इलेक्टिकल कारोबार में इस्तेमाल होने वाले टेफ्लॉन की वजह से हार्मोंस संतुलन बिगड़ रहा है। उर्वरक में पाया जाने वाला परकोलरेट थियोसायनेट हमारी हार्मोंस ग्रंथियों को प्रभावित करता है। जिससे मधुमेह की समस्या बढ़ रही है। साथ ही अन्य समस्याएं हो रही हैं।

धूप से दूरी से विटामिन-डी की कमी

आर्थोपेडिक विभागाध्यक्ष डॉ. संजय कुमार बताते हैं कि ओपीडी में 80 फीसद मरीजों में विटामिन-डी की कमी पाई जाती है। इसकी वजह धूप से दूरी है। धूप में बैठक काम करने की आदत खत्म सी हो गई है। एसी कार से लेकर घरों में है, बच्चे भी धूप में खेलने नहीं जाते हैं। इससे विटामिन डी की कमी से हायपोथायरोडिज्म का रिस्क बढ़ता जा रहा है। विटामिन डी इंसुलिन उत्सर्जन को रेगुलेट करने के साथ ब्लड शुगर को भी नियंत्रित करता है। धूप नहीं मिलने से हड्डियों में कैल्शियम अवशोषण की क्षमता घटी है और शुगर का रिस्क भी तेजी से बढ़ रहा है।

बच्चों का बिगड़ रहा सिस्टम

जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के बाल रोग विभाग के प्रोफेसर डॉ. एके आर्या कहते हैं कि बच्चे धूप में खेलते नहीं हैं। कंप्यूटर एवं वीडियो गेम में व्यस्त रहते हैं। इससे बच्चों में इंडोर केमिकल एक्सपोजर से हार्मोंस संतुलन बिगड़ रहा है। तेजी से मोटापा के शिकार हो रहे और शुगर का खतरा बढ़ रहा है। टाइप-1 शुगर जन्मजात है, लेकिन 15-20 साल की उम्र में टाइप-2 पीडि़त सामने आ रहे हैं।

मधुमेह बीमारी नहीं, अवस्था

आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. निरंकार गोयल कहते हैं कि मधुमेह बीमारी नहीं, एक अवस्था है। गैंगरीन जैसी बीमारियों से बचाव के लिए मेथी के दाने भिगोकर सुबह मु_ीभर खाएं। रातभर मेथी को भिगोकर पानी पिएं। इसमें सुबह करेला एवं जामुन का जूस का सेवन करने पर भी लाभ मिलता है।


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