Unnao News : समाधि ले चुके युवक को पुलिस ने जिंदा निकाला, नवरात्र से पहले खुद को दफन करवा पाना चाहता था मोक्ष
उन्नाव में एक युवक ने लोगों को अपने फैसले से अचम्भव में डाल दिया है। इससे पहले युवक ने अपने दोस्तों की मदद से खुद को दफन करवा लिया। पुलिस युवक के सभी मददगारों को ले जाकर थाने में पूछताछ कर रही है।
उन्नाव, जागरण संवाददाता। बचपन में मां की मौत के बाद से ईश्वर भक्ति में रमे ताजपुर निवासी 22 वर्षीय साधुवेशधारी शुभम ने मोक्ष पाने की बात कह अपने चार दोस्तों की मदद से गांव के बाहर मंदिर के पास जमीन में समाधि ले ली।
सूचना पर आसीवन एसओ अनुराग सिंह पुलिस टीम के साथ मौके पर पहुंचे तो शुभम समाधि ले चुका था। उसके दोस्त मिट्टी में बंदकर समाधि के ऊपर एक लाल झंडा गाड़ रहे थे। पुलिस ने मिट्टी हटवाकर शुभम को गड्ढे से जीवित बाहर निकाला।
शुभम ने बताया कि वह मोक्ष पाना चाहता था, इसलिए नवरात्र से एक दिन पहले उसने समाधि लेने का संकल्प लिया था। शुभम के साथ मौजूद साथी सफीपुर के परियर निवासी हरिकेश मरौंदा निवासी राहुल व दो अज्ञात को पुलिस थाना ले गई।
सभी ने बताया कि शुभम चार साल से गांव के बाहर खरफूस की झोपड़ी बनाकर रह रहा था और काली जी की मूर्ति रखकर पूजा-पाठ करता था। दोस्तों ने बताया कि उन्होंने उसे समाधि लेने से रोका पर वह नहीं माना। शुभम के पिता विनीत ने बताया कि बचपन से ही शुभम का पूजा-पाठ की ओर रुझान हो गया। प्रभारी निरीक्षक अनुराग सिंह ने बताया कि उच्चाधिकारियों को जानकारी दी गई है। उनके आदेश पर कार्रवाई की जाएगी।
सात फीट का खोदा गया था गड्ढा
शुभम द्वारा समाधि लेने की जिद पर उसके पिता व दोस्तों ने करीब सात फीट का गड्ढा खोदा था। गड्ढे में शुभम बैठ गया। गड्ढे के ऊपर से लकड़ियां रखीं गई और फिर पालीथिन से उसे ढककर मिट्टी डाली गई। मौके पर मौजूद ग्रामीणों ने अंदेशा जताया है कि लकड़ियां बिछी होने व खरफूस रखा होने से वह मिट्टी में दब नहीं पाया और गड्ढे में पांच-सात मिनट तक जीवित रहा।
शुभम के समाधि लेने के दौरान उसका पिता विनीत भी वहीं मौजूद था। वह भी समाधि पर मिट्टी डाल रहा था। उसने बताया कि शुभम का पूजा-पाठ में रुझान था। इससे वह झोपड़ी में रहकर झाड़फूंक भी करता था। मां काली को प्रसन्न करने के लिए उसने समाधि लेने का फैसला लिया। उसकी जिद को ईश्वर की इच्छा मानकर अधिक रोकने का प्रयास नहीं किया।
गड्ढे में जगह होने और ऊपर से लकड़ियां बिछाकर पन्नी डाले जाने की वजह से वह मिट्टी में दबा नहीं। ताजा गड्ढा और उसमें जगह होने की वजह से आक्सीजन बनी रही। इसी वजह से उसकी जान बच सकी। - डा. शोएब, मियागंज सीएचसी