कानपुर, जागरण संवाददाता। प्लाट विवाद में मुकदमा दर्ज होने के बाद से फरार सपा विधायक इरफान सोलंकी और उनके भाई रिजवान सोलंकी के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई शुरू हो गई है। पुलिस ने इसके लिए सीआरपीसी की धारा 82 के तहत अदालत से अनुमति ली है।
नियमानुसार जब किसी मुकदमे में वांछित अभियुक्त पुलिस की गिरफ्त में नहीं आता है और आत्मसमर्पण भी नहीं करता है तो पुलिस उसके खिलाफ गैर जमानती वारंट अदालत से लेती है। इसके बाद पुलिस कुर्की की कार्रवाई शुरू करती है। इस प्रक्रिया में पहले सीआरपीसी की धारा 82 के तहत पुलिस को अदालत से अनुमति लेने पड़ती है कि वह अभियुक्त के ठिकानों पर भगौड़ा घोषित होने की मुनादी कराए और घर पर नोटिस चस्पा करें।
नियमानुसार एक महीने का समय दिया जाता है। अगर इसके बावजूद आरोपित कानून के शिकंजे में नहीं आए तो एक महीने के बाद उनकी संपत्ति सीज की जा सकती है। हालांकि विशेष मामलों में यह कार्रवाई अदालत की अनुमति से पुलिस कम समय में ही कर सकती है। संयुक्त पुलिस आयुक्त आनंद प्रकाश तिवारी ने बताया कि पुलिस ने प्लाट विवाद में फरार सपा विधायक और उनके भाई रिजवान के खिलाफ धारा 82 के तहत अनुमति ले ली है। जल्द ही मुनादी भी होगी।
इन धाराओं में दर्ज हुआ है मुकदमा
धारा 212: अपराधी को कानूनी दंड से बचाने के इरादे से आश्रय देना। अपराध यदि मृत्यु दंडनीय है, तो आश्रम देने वाले को पांच वर्ष की सजा व जुर्माना, अगर अपराध आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की सजा से दंडनीय है तो तीन वर्ष तक की सजा व जुर्माना हो सकता है।
धारा 419: किसी दस्तावेज को फर्जी तरीके से बनाना। तीन सात तक सजा व जुर्माना।
धारा 420: धोखाधड़ी। सात साल तक की सजा व जुर्माना
धारा 467: कूटरचना। अगर केंद्र सरकार से जुड़े दस्तावेज को कूटरचना करके तैयार किया जाता है तो आजीवन कारावास या दस वर्ष की सजा और जुर्माना हो सकता है।
धारा 468: कूट रचना यह जानकार की जाए कि इसका प्रयोग छल के लिए किया जाएगा। सात वर्ष तक की सजा और जुर्माना।
धारा 471: कोई दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख, जिसके बारे में वह जानता हो कि वह दस्तावेज या इलेक्ट्रानिक अभिलेख कूटरचित है, को कपटपूर्वक या बेईमानी से असली के रूप में उपयोग करना। आजीवन कारावास या दस वर्ष तक की सजा और जुर्माना।

धारा 120बी : साजिश। सजा अपराध के हिसाब से होती है।