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Vikas Dubey News : जय के हाथों का 'खिलौना' बनी रही पुलिस, एएसपी कन्नौज की जांच में खुल चुका है राज

Kanpur Gangster Vikas Dubey News तत्कालीन आइजी आलोक सिंह ने 2017 में जय बाजपेयी व उनके भाई रजय बाजपेयी के खिलाफ गोपनीय जांच तत्कालीन एएसपी कन्नौज केसी गोस्वामी से कराई थी।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Fri, 17 Jul 2020 10:44 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jul 2020 01:40 AM (IST)
Vikas Dubey News : जय के हाथों का 'खिलौना' बनी रही पुलिस, एएसपी कन्नौज की जांच में खुल चुका है राज
Vikas Dubey News : जय के हाथों का 'खिलौना' बनी रही पुलिस, एएसपी कन्नौज की जांच में खुल चुका है राज

कानपुर [गौरव दीक्षित]। पुलिस मुठभेड़ में मारे जा चुके दुर्दांत अपराधी विकास दुबे के 'खजांची' जय बाजपेयी के हाथों का खिलौना बनी रही। इसीलिए उस पर कानूनी शिकंजा कसने के बजाय 'जय-जय' हुई। यह सच्चाई उस जांच से उजागर हुई है, जो सवा दो साल पहले कन्नौज के तत्कालीन एएसपी केसी गोस्वामी ने की थी। जय की करतूतों को लेकर अब जो बातें हो रही हैं, वे एक दस्तावेज के रूप में पुलिस महकमे की फाइलों में कैद हैं। इसमें जय के कारनामों की पोल के साथ पुलिस महकमे में उसके खास लोगों का ब्योरा भी है। 

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तत्कालीन आइजी आलोक सिंह ने एक शिकायत पर नवंबर 2017 में जय बाजपेयी व उनके भाई रजय बाजपेयी के खिलाफ गोपनीय जांच तत्कालीन एएसपी कन्नौज केसी गोस्वामी से कराई थी। स्थानीय पुलिस की मिलीभगत को लेकर जांच दूसरे जिले से कराई गई थी। 21 मार्च, 2018 को उन्होंने जांच रिपोर्ट एसपी कन्नौज को सौंपी थी। इसके बाद रिपोर्ट कहां गई, ये किसी को पता नहीं है। हालांकि दैनिक जागरण के सूत्रों के मुताबिक आईजी ने कार्रवाई के लिए तत्कालीन एसएसपी कानपुर अनंत देव को निर्देश दिए थे पर संभवत: उन्होंने कोई दिलचस्पी नहीं ली थी।

बिकरू कांड के बाद उठे सवाल : लंबे समय तक कानपुर के एसएसपी रहे अनंत देव के बिकरू कांड के बाद जय बाजपेयी से रिश्ते को लेकर सवाल खड़े हुए हैं। वैसे, एएसपी कन्नौज की रिपोर्ट पर संज्ञान लिया गया होता तो जय, रजय बाजपेयी के तमाम राज का पहले ही पर्दाफाश हो जाता। बजरिया व नजीराबाद थाने के पुलिस अफसरों, कर्मियों, डीसीआरबी व स्थानीय अभिसूचना इकाई में उसकी पैठ के सुबूत मिल जाते।

आरोप और जांच में निकले तथ्य

आरोप : आकूत धन-संपत्ति।

जांच रिपोर्ट : जय व रजय बाजपेयी ने अपने साथियों महेंद्र सिंह, राज कुमार प्रजापति, आलोक शुक्ला, पवन गुप्ता के साथ मिलकर वर्ष 2012 से 2016 के बीच अकूत धन संपत्ति जुटाई। कई मकान और गाड़ियों के स्वामी हैं। उस समय परिवार ने खुद आठ से नौ संपत्तियों की बात स्वीकारी थी। एएसपी ने वर्ष 2010 से अब तक अर्जित संपत्तियों व उनके स्रोतों की जांच प्रवर्तन निदेशालय या आयकर विभाग से कराने की संस्तुति की थी।

आरोप : मुकदमा दर्ज होने के बाद भी बना जय बाजपेयी का शस्त्र लाइसेंस और पासपोर्ट।

जांच रिपोर्ट : जय बाजपेयी के नाम से रिवाल्वर का लाइसेंस ब्रह्मनगर स्थित उसके निवास के पते पर थाना बजरिया से आठ जनवरी 2008 को जारी किया गया, जबकि पासपोर्ट एक जून 2016 को नजीराबाद स्थित आवास के पते पर बना। विवेचक के मुताबिक जय के खिलाफ 1999 से 2016 तक कई मुकदमे दर्ज हुए हैं। ऐसे में संबंधित पुलिस कर्मियों के खिलाफ प्रारंभिक जांच की संस्तुति की जाती है। जय ने अपने साथी आलोक शुक्ला व अन्य के साथ दुबई की यात्रा की थी। इसलिए वहां जाने की वजह का पता लगाने की भी जरूरत है।

आरोप : गनर प्रकरण की जांच में गड़बड़ी।

जांच रिपोर्ट : जय के साथ एक होमगार्ड गनर बनकर रहता था। उसके पास जय बाजपेयी के सहयोगी राज कुमार प्रजापति की लाइसेंसी रिवाल्वर रहती थी। इसको लेकर होमगार्ड महेंद्र व राज कुमार के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया जा चुका है। इसमें जय को कहीं आरोपित नहीं बनाया गया है। राज कुमार के मुकदमे में विवेचक आनंद शर्मा ने फाइनल रिपोर्ट लगाते हुए कहा है कि चूंकि रिवाल्वर बरामद नहीं हुआ, इसलिए चार्जशीट नहीं लग सकती है। जब जांच हुई तो विवेचक ने पाया कि मुकदमा दर्ज होने के बाद यही रिवाल्वर 22 अक्टूबर 2017 को नगर निकाय चुनाव में थाना नजीराबाद में जमा की गई थी। विवेचक ने तत्कालीन थानाध्यक्ष नजीराबाद विवेक कुमार सिंह, प्रभारी निरीक्षक बजरिया रमेश चंद्र मिश्रा और विवेचक सब इंस्पेक्टर आनंद कुमार शर्मा के विपक्षी के प्रभाव में होने की बात कहकर जांच कर कार्रवाई की बात कही।

आरोप : केडीए की सील तोड़कर अवैध निर्माण करना

जांच रिपोर्ट : इस मामले में केडीए ने मुकदमा दर्ज कराया था, जिसके विवेचक नजीराबाद में तैनात सब इंस्पेक्टर राजपाल सिंह ने कोई कार्रवाई नहीं की। एएसपी ने तत्कालीन थाना प्रभारी नजीराबाद और राजपाल सिंह पर स्वेच्छाचारिता का प्रदर्शन करने और विपक्षी के प्रभाव में रहने का आरोप लगाया है।

आरोप : घर में रहते हैं पुलिस वाले।

जांच रिपोर्ट : जांच में खुद जय व रजय ने माना था कि उनके मकान में पांच महिला सिपाही और एक सब इंस्पेक्टर रहते हैं। आरोप है कि पुलिस वाले फ्री में रहते हैं, लेकिन जांच के दौरान बताया गया कि किराया देते हैं। हालांकि किरायानामा की रसीद नहीं दिखाई जा सकी।

गाड़ी पर विधायक का स्टीकर : जय बाजपेयी की पैठ शासन स्तर पर भी मजबूत थी। इसका सुबूत विजय नगर चौराहे पर पकड़ी गई उसकी गाड़ी पर लगा विधायक का स्टीकर है। वह खुद किसी पद पर नहीं है, लेकिन विधायक के स्टीकर का इस्तेमाल कर रहा था। इसकी जांच तक नहीं हुई है।

बिकरू कांड में जय बाजपेयी की कोई गतिविधि नहीं मिली : एसएसपी दिनेश कुमार पी कहना है कि बिकरू में पुलिस कर्मियों की हत्या के मामले में जय बाजपेयी की कोई गतिविधि नहीं पाई गई है। उसके खिलाफ दूसरे आरोप हैं, जिनकी जांच आयकर विभाग, प्रवर्तन निदेशालय व अन्य एजेंसियां कर रही हैं। पहले हुई जांच की रिपोर्ट को लेकर जानकारी नहीं है। ईओडब्ल्यू के अपर पुलिस अधीक्षक केसी गोस्वामी ने कहा कि ढाई साल पहले आइजी आलोक सिंह के आदेश पर मैंने एक शिकायती पत्र पर जय बाजपेयी व उसके सहयोगियों की जांच की थी। जहां तक मुझे याद है मैंने उसकी संपत्ति को लेकर आयकर विभाग या प्रवर्तन निदेशालय से जांच कराने की संस्तुति की थी जांच मैंने आईजी को भेज दी थी। आगे क्या हुआ मुझे मालूम नहीं है।


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