देवरिया कांडः डीएम के रोकने के बाद भी पुलिस संस्था में लगातार भेजती रही बच्चे
जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने 17 सितंबर 2017 को ही संस्था की अध्यक्ष को वहां रहने वाली महिलाओं और लड़कियों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे।
देवरिया [रजनीश त्रिपाठी]। पुलिस अधीक्षक रोहन पी. कनय ने पांच अगस्त की रात जिस बाल गृह बालिका में सेक्स रैकेट का राजफाश किया था, दरअसल वहां पुलिस खुद बच्चों को अवैध ढंग से भेजती थी। तत्कालीन जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने 17 सितंबर 2017 को ही संस्था की अध्यक्ष को वहां रहने वाली महिलाओं और लड़कियों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने के निर्देश दिए थे। इसके ठीक दो दिन बाद डीएम ने एसपी देवरिया को भी स्पष्ट निर्देश दिए थे कि किसी भी थाने से सीधे तौर पर युवतियों और बच्चों को इस संस्थान में न भेजा जाए।
इतना ही नहीं एक अलग पत्र में डीएम ने एसपी देवरिया को यह अवगत कराया था कि निदेशालय से इस संस्थान की मान्यता स्थगित हो गई, ऐसे में यहां के बच्चों, महिलाओं को दूसरे जिलों में स्थानांतरित कराना है। इतना सब पता होने के बाद भी पुलिस लगातार बच्चों, महिलाओं और लड़कियों को इस संस्था के सिपुर्द क्यों करती रही? वहां की गतिविधियों का राजफाश करने में इतना वक्त कैसे लग गया है? यह सवाल उठना लाजिमी है।
देवरिया कांड का सच तलाशने और जिम्मेदार लोगों की पड़ताल में जुटी टीमों के हाथ जो पत्रावलियां लगी हैं, उसमें हर दिन नई कहानी सामने आ रही है। जांच में पता चला है कि जून 2017 में जब 'मां विंध्यवासिनी महिला प्रशिक्षण एवं समाज सेवा संस्थान देवरिया के बाल गृह बालिका, बाल गृह शिशु, विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण इकाई की मान्यता महिला कल्याण निदेशालय ने स्थगित कर दी तो तत्कालीन जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने इसकी जानकारी एसपी देवरिया से लेकर सभी संबंधित विभागों के अधिकारियों को दे दी थी।
डीएम ने 16 सितंबर 2017 को संस्था के अध्यक्ष को लिखे पत्र में उप, मुख्य परिवीक्षा अधिकारी के निर्देशों का हवाला देते हुए संस्था की मान्यता स्थगित होने के चलते वहां रहने वाली युवतियों, महिलाओं को दूसरी संस्थाओं में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। इसमें सहयोग न करने पर उन्होंने कार्रवाई की भी चेतावनी दी थी। इस पत्र की जानकारी डीएम ने मुख्य सचिव से लेकर एसपी देवरिया तक को दी थी।
जिलाधिकारी सुजीत कुमार ने इसके दो दिन बाद 19 सितंबर को एसपी देवरिया को लिखे पत्र में स्पष्ट तौर पर बताया कि 'ऐसा प्रकाश में आया है कि जिले के कुछ थानों द्वारा अवैध रूप से बच्चों को अवैध संस्थाओं को दिया जा रहा है। यह अत्यंत खेदजनक और किशोर न्याय अधिनियम का उल्लंघन है।
तत्कालीन डीएम ने बताया था कि बाल कल्याण निदेशालय ने संस्था में रहने वाले बच्चों को दूसरे जिलों में स्थानांतरित करने का निर्देश दिया है। ऐसे में आप अपने स्तर से सभी थानों को निर्देशित करें कि अवैध रूप से प्राप्त बच्चों को कोई भी थाना बाल कल्याण समिति के समक्ष प्रस्तुत कराए बगैर मां विंध्यवासिनी प्रशिक्षण संस्था द्वारा संचालित किसी भी संस्था में न भेजें। इतना कुछ होने के बावजूद देवरिया पुलिस बच्चियों, युवतियों को न केवल सीधे तौर पर थानों से इस संस्था के पास भेजती रही, बल्कि यहां की गतिविधियों को भी भांप नहीं सकी।