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कानपुर में फिर नकली शराब की ब्रिकी का भंडाफोड़, बोतलों पर 'असली' क्यूआर कोड देख अधिकारी दंग

कानपुर में आबकारी का सिक्योरिटी क्यूआर कोड हैक करके नकली शराब की ब्रिकी का भंडाफोड़।

By AbhishekEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 04:24 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 04:24 PM (IST)
कानपुर में फिर नकली शराब की ब्रिकी का भंडाफोड़, बोतलों पर 'असली' क्यूआर कोड देख अधिकारी दंग
कानपुर में फिर नकली शराब की ब्रिकी का भंडाफोड़, बोतलों पर 'असली' क्यूआर कोड देख अधिकारी दंग

कानपुर, जेएनएन। शराब की बोतलों में नकली क्यूआर कोड लगाकर बिक्री करने वाले माफिया बड़े ही शातिर निकले। नकली शराब बोतलों का क्यूआर कोड भी आबकारी विभाग के एप में स्कैन होने से अधिकारी भी हैरान हैं। उनका कहना है कि एनआइसी के क्यूआर कोड सिस्टम के सेफ्टी फीचर में कमी होने की वजह से ऐसा हुआ है। प्रदेश में सामने आया दूसरा मामला भी कानपुर का होने से पूरा महकमा कठघरे में आ गया है।

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कानपुर में ही फिर सामने आया दूसरा मामला

जिला आबकारी अधिकारी अरविंद मौर्या ने बताया कि एनआइसी के क्यूआर कोड सिस्टम के सेफ्टी फीचर में कमी है। इसी का फायदा उठाकर शराब तस्कर नकली रैपर तैयार कर रहे हैं। डेढ़ महीने पहले भी ऐसा ही एक मामला चौबेपुर की शराब की दुकान में पकड़ा गया था। वहां भी नकली शराब की बोतल में क्यूआर कोड लगा था। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को अवगत कराकर मजबूत सेफ्टी फीचर के साथ नया क्यूआर कोड सिस्टम लांच करने का अनुरोध किया है।

स्कूल संचालक के घर में बन रही थी नकली शराब

एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न कुमार ने बताया कि बिधनू कस्बे में संचालित फूलसिंह एजुकेशन सेंटर के संचालक जहान सिंह के गांव स्थित मकान में नकली शराब तैयार की जा रही थी। यहां से नकली शराब के दो हजार पव्वे, केमिकल के 22 भरे और चार खाली ड्रम, बड़ी संख्या में खाली बोतल व उपकरण मिले हैं। सैकड़ों की संख्या में सिक्योरिटी क्यूआर कोड भी मिले हैं। पतारा के पूर्व ब्लॉक प्रमुख और सपा नेता प्रदीप वर्मा, स्कूल संचालक के चचेरे भाई मान सिंह, केमिकल सप्लायर के एजेंट और सचेंडी के कैंधा निवासी मोहित और स्कूल के वैन चालक बृजपाल सिंह को गिरफ्तार किया गया है। नकली शराब की फैक्ट्री का मुख्य आरोपित कानपुर देहात के गांव कैलई का अंकित सचान है, वह पहले भी जेल जा चुका है।

क्या होता है क्यूआर कोड

असली और नकली शराब का फर्क पता करने के लिए शराब निर्माता कंपनी को बोतल पर एक क्यूआर कोड चस्पा करना होता है। यह कोड आबकारी विभाग उपलब्ध कराता है। आबकारी विभाग के एप से स्कैन करने पर पता चल जाता है कि यह शराब किस कंपनी ने बनाई, कहां बनी, कहां सप्लाई होनी है। उसकी मात्रा और मूल्य क्या है, यह भी पता चल जाता है। एसपी ग्रामीण प्रद्युम्न कुमार सिंह ने बताया कि दहली उजागर में बरामद क्यूआर कोड आबकारी एप से स्कैन हुए और सारी जानकारी सामने आ गई। शराब की गोरखपुर में बना दिखाते हुए मूल्य 65 रुपये रखा गया है।


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