एक वर्ष में कई एटीएम से करोड़ों निकालने वाले तीन शातिरों को पुलिस ने किया गिरफ्तार
दिसंबर में नौबस्ता स्थित एटीएम से भी पार किए थे रुपये डिवाइस व सॉफ्टवेयर की मदद से निकाल लेते थे नोट कई एटीएम से तो लगातार दो से ढाई लाख रुपये तक निकाले थे आरोपितों के तार बिहार के नवादा जिले के साइबर हैकरों से जुड़े हैं
कानपुर, जेएनएन। एटीएम हैक करके रकम उड़ाने वाले तीन शातिर बदमाशों को नौबस्ता पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आरोपित सूनसान एटीएम को निशाना बनाते थे। एसएसपी प्रीतिंदर सिंह के अनुसार एक वर्ष में वे कई एटीएम से करीब पांच करोड़ रुपये निकाल चुके हैं। आरोपितों ने कानपुर के साथ-साथ मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में ज्यादातर वारदात की हैं। उनके पास तीन डिवाइस, दो मोबाइल फोन, लैपटॉप, कार व 65 हजार रुपये बरामद हुए हैं।
एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने बताया कि 17 दिसंबर को नौबस्ता के बसंत विहार में आइडीबीआइ बैंक के एटीएम से हैकरों ने 9500 रुपये निकाले थे। कैमरे की फुटेज से प्रतापगढ़ के जेठवारा करमचंदपुर का हैकर जितेंद्र उर्फ धीरू, बजरंग बहादुर सिंह उर्फ सावन और मान्धाता निवासी मुजीबुद्दीन की पहचान हुई थी। गुरुवार को उन्हें कार समेत नौबस्ता चौराहे के पास पकड़ा गया। एसएसपी के अनुसार आरोपितों ने पूछताछ में बताया कि पिछले एक वर्ष में वह करीब पांच करोड़ रुपये कई एटीएम से निकाल चुके हैं। ज्यादातर उन बैंकों के एटीएम को निशाना बनाते थे, जिनमें सिक्योरिटी गार्ड नहीं होता था। कई बार एटीएम का हुड खोलकर कार्ड क्लोन करने वाली डिवाइस लगाते थे और ग्राहकों के कार्ड बदलकर भी वारदात करते थे। वे मध्य प्रदेश, में भी वारदात कर चुके हैं। प्रयागराज से 2017 में तीनों जेल गए थे।
कैश ट्रे में फंसाते थे डिवाइस
आरोपित चिमटानुमा डिवाइस को एटीएम की कैश ट्रे में तब तक फंसाते थे, जब तक पहली बार में कार्ड लगाकर 500 रुपये निकालते थे और पैसा ट्रे से बाहर आता था। इससे कैश ट्रे का शटर बंद नहीं हो पाता था। डिवाइस एटीएम के मदरबोर्ड के सेंसर को ब्लॉक कर देती थी। इसके बाद 10 हजार रुपये फीड करके पैसे निकालते थे, लेकिन कैश की इंट्री मशीन में नहीं होती थी। कई एटीएम से तो लगातार दो से ढाई लाख रुपये तक निकाले थे।
बिहार के हैकर गिरोह से जुड़े तार
आरोपितों के तार बिहार के नवादा जिले के साइबर हैकरों से जुड़े हैं। जितेंद्र पहले एटीएम में कैश लोड करने वाली कंपनी में भी काम कर चुका है। उसने बिहार के हैकर गिरोह से 30 हजार रुपये में डिवाइस और दो लाख रुपये में सॉफ्टवेयर खरीदा था। एक ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी से भी डिवाइस खरीदी।