उन्नाव में जर्जर आवासों में रहकर खतरे में जी रहे स्वास्थ्य और पुलिस कर्मी, टपकती है छत, खिड़की में नहीं दरवाजे
जनपद के पुरवा क्षेत्र में दो दशक पूर्व बने आवासों का हाल बुरा है यहां मकानों की छत टपक रही हैैं और खिड़कियां तक साबुत नहीं बची हैैं। ऐसे में यहां रहने वाले स्वास्थ्य तथा पुलिस कर्मी खतरे में रहकर जीने को मजबूर हैैं।
उन्नाव,जेएनएन। सरकारी इमारतों का बनने का कुछ वर्ष बाद हाल कैसा होता है यह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और कोतवाली में चिकित्सकों एवं पुलिस कर्मियों के लिए बने आवासीय भवनों की हालत देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है। लगभग दो दशक पूर्व बने आवासों में रहने वाले कर्मियों को सर्दी-गर्मी से लेकर बरसात के दिनों में खासी परेशानी उठानी पड़ती है। जगह-जगह उखड़े प्लास्टर के बीच टूटी खिड़कियां सर्द हवाओं से सामना करवा रही हैं। इससे बचने के लिए कागज की दफ्ती से लेकर ईंटों तक का सहारा लिया जा रहा है।
पुरवा तहसील मुख्यालय पर ऐसी ही एक तस्वीर देखने के लिए पहले सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्सकों एवं अन्य विभागीय कर्मचारियों के रहने के लिए आवासों को देखे जो 1995 में तीन भवन बनाये गये थे जिसमें 16 फ्लैट निकाल कर चिकित्सकों एवं कर्मचारियों को आशियाना दिया गया था। कुछ दिनों तक रंगे पुते भवन खूबसूरत दिखे लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया वैसे-वैसे कलई खुलकर सामने आने लगी। मौजूदा समय में इन भवनों में एक भी खिड़की सुरक्षित नहीं हैं तो सभी छतों से बारिश के दिनों में पानी टपकता है।
इसी तरह से कोतवाली परिसर में पुलिस कर्मियों के लिए बने 22 आवासों को देखे तो यहां भी स्थिति खराब है। आवासों की छतों से बारिश में पानी टपकता है तो सर्दी में सीलन दीवारें कांपने को मजबूर कर देती है।
पुलिस कर्मियों के आवास हैं कम
साथ ही पुलिस कर्मियों की संख्या के हिसाब से आवास भी आधे से कम है। यहां तैनात पुलिस कर्मियों की संख्या 89 है। जबकि, आवासों की संख्या 22 है। जिसके कारण पुलिस कर्मियों को किराए पर रहना पड़ता है।