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अंधे बांटे रेवड़ी, चीन्ह चीन्ह कर देय..

महेश शर्मा घाटमपुर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2022 तक हर गरीब को पक्का मकान मुहैय्या क

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Mar 2019 01:38 AM (IST)Updated: Sat, 23 Mar 2019 01:40 AM (IST)
अंधे बांटे रेवड़ी, चीन्ह चीन्ह कर देय..
अंधे बांटे रेवड़ी, चीन्ह चीन्ह कर देय..

महेश शर्मा, घाटमपुर

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वर्ष 2022 तक हर गरीब को पक्का मकान मुहैय्या कराने का संकल्प व्यक्त करते हैं। मगर, भ्रष्ट नौकरशाही व पंचायती राजतंत्र उनके सपनों में पलीता लगाने में तुला है। जिम्मेदार अपात्रों को प्रधानमंत्री आवास की रेवड़ियां बांट आदिमयुगीन जीवन जीने को अभिशप्त गरीबों को दुत्कारने में बाज नहीं आते हैं।

आखिर नेत्र दिव्यांग वृद्धा का क्या कसूर

पतारा विकास खंड के गांव बलहापारा खुर्द निवासी नेत्र दिव्यांग गंगादेई फूस की झोपड़ी में मंदबुद्धि पुत्र संदीप के साथ विधवा पुत्री माया की मजदूरी से पेट पाल रही हैं। उनके पास गरीबी रेखा से उपर जीवन यापन करने वाला पीला कार्ड है। गनीमत है कि उसे पात्र गृहस्थी में शामिल कर कुछ खाद्यान्न दे दिया जाता है। उन्हें न कोई पेंशन मिलती है और न ही उज्ज्वला रसोई गैस, प्रधानमंत्री आवास, पट्टा या स्वास्थ्य कार्ड जैसी कोई नियामत। गंगादेई बताती हैं कि वह 20 वर्ष से इसी हालात में गुजर बसर कर रही है। ग्राम प्रधान रामू सिंह का जवाब एक और सवाल को जन्म देता है कि 20 वर्ष से आदिमयुगीन जीवन व्यतीत करने वाली गंगादेई का नाम आखिर 2011 की पात्रता सूची में क्यों नहीं था। जिसके चलते उसे आवास समेत अन्य सुविधाएं नहीं मिल सकीं।

पॉलीथिन के नीचे जिंदगी

पतारा विकास खंड के गांव केवड़िया ग्राम सभा में आनंद स्वरूप प्रजापति के हालात पर ही नजर डालें। आवासहीन व भूमिहीन आनंद का परिवार बीते दो दशक से खरीदे गए चार हजार ईंटों को दीवारनुमा रखकर पॉलीथिन के नीचे गुजर बसर को मजबूर है। परिवार में पत्नी छोटी के साथ युवा पुत्री सोनिया (19), मोनी (15) व तन्नू (10) है। फर्श पर पुआल डालकर लेटने वाले परिवार का पेट भरने का एकमात्र सहारा मजदूरी है। आनंद व पत्नी छोटी को दरवाजे न होने के चलते पुत्रियों की सुरक्षा को लेकर पूरी रात नींद नहीं आती। आनंद के पास पीला राशन कार्ड था, परिणामस्वरूप राशन भी नहीं मिलता। न हेल्थ कार्ड और न ही कोई पेंशन की सुविधा। ग्राम प्रधान श्रवण तिवारी बताते हैं कि शासन से 26 आवास मिले थे। पात्रता सूची में नाम न होने के चलते आनंद प्रजापति को आवास या शौचालय आवंटित नहीं किया सका।

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साधन संपन्न को दिया पीएम आवास

प्रधानमंत्री आवास योजना का दूसरा पक्ष विकास खंड मुख्यालय की ग्रामसभा पतारा में देखने को मिलता है। सदर बाजार के समीप लाभार्थी ज्ञानू देवी पत्नी प्रेम कुमार का दोमंजिला आवास, स्टील की ग्रिल, दरवाजे पर खड़ी बाइक व पिकअप एकबारगी किसी संपन्न व्यक्ति का आवास होने का अहसास कराती है। मगर, बाहरी दीवार में प्रधानमंत्री आवास होने की जानकारी दर्ज है। पड़ोसियों की मानें तो ज्ञानू देवी का पक्का मकान था, योजना के तहत धन मिलने पर दूसरी मंजिल बनवा ली गई। पूर्व ग्राम प्रधान गया प्रसाद त्रिवेदी व भाजपा के पूर्व मंडल अध्यक्ष ओम बाबू गुप्ता बताते हैं कि योजना में अपात्रों को लाभ देने की शिकायत की गई थी। डीआरडीए के परियोजना अधिकारी केके पांडेय ने जांच में पांच आवास अपात्रों को आवंटित करने की बात स्वीकारी थी, लेकिन बाद में सब गोलमाल हो गया।


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