Pintu Sengar Murder Case: पुलिस को फिर झटका, सऊद और महफूज अख्तर ने किया कोर्ट में सरेंडर
कानपुर बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड में आरोपित बनने के बाद तीन महीने से महफूज फरार चल रहा था और पुलिस उसकी तलाश करने के साथ इनाम घोषित करने की तैयारी कर रही थी।फिलहाल 13 आरोपित जेल में हैं।
कानपुर, जेएनएन। शहर के चर्चित बसपा नेता पिंटू सेंगर हत्याकांड में आरोपित रहे महफूज अख्तर को क्लीन चिट देने वाली पुलिस फिर झटका खा गई। कोर्ट द्वारा सवाल उठाने के बाद गिरफ्तारी के प्रयास में लगी पुलिस को चकमा देकर महफूज ने आत्मसमर्पण कर दिया। चौबेपुर बिकरू कांड हो या फिर अन्य केसों में भी पुलिस को इस तरह का झटका पहले भी मिला चुका है, जिसमें आरोपित कोर्ट के सरेंडर करने से पुलिस की कार्यशैली पर सवालिया निशान लग चुके हैं।
बसपा नेता पिंटू सेंगर की हत्या 20 जून 2020 को उस समय कर दी गई थी, जब वह अपने कारोबारी पार्टनर मनोज गुप्ता से विवाद की पंचायत के लिए सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष चंद्रेश सिंह के घर जा रहे थे। चंद्रेश सिंह के घर के ठीक सामने गाड़ी से उतरते ही दो मोटर साइिकलों पर सवार चार बदमाशों ने गोली मारकर उनकी हत्या कर दी थी। प्रकरण में पिंटू के स्वजन की ओर से मनोज गुप्ता, पप्पू स्मार्ट, सऊद अख्तर, सऊद अख्तर के भाई महफूज अख्तर के अलावा मध्यस्थ की भूमिका निभा रहे अधिवक्ता अरिदमन सिंह व बीनू उपाध्याय को आरोपित किया था।
पंद्रह दिन बाद पुलिस ने इस प्रकरण पर से पर्दा उठाते हुए दोनों अधिवक्ताओं का कोई हाथ नहीं होने की बात कही थी। साथ ही पप्पू स्मार्ट, सऊद अख्तर, मनोज गुप्ता, वीरेंद्र पाल, उन्नाव में तैनात सिपाही श्याम सुशील मिश्रा, तौसीफ उर्फ कुक्कू आदि द्वारा 40 लाख रुपये में सुपारी देकर पिंटू की हत्या करवाने और हत्या के पीछे जमीनी विवाद कारण कारण बताया था। इस प्रकरण में फिलहाल 13 आरोपित जेल में हैं।
एक अक्टूबर को पुलिस ने अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। इसमें हत्याकांड के मुख्य आरोपितों मनोज गुप्ता व वीरेंद्र पाल दोनों के नाम हटाते हुए शेष 11 आरोपितों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। दोनों आभियुक्तों को राहत देने के लिए पुलिस ने अदालत में 169 की रिपोर्ट पेश की थी लेकिन अदालत ने पुलिस की कोशिशों पर पानी फेर दिया। तीन अक्टूबर को दैनिक जागरण ने पुलिस के इस खेल से पर्दा उठाया था।
इसमें मनोज गुप्ता व वीरेंद्र पाल के अलावा पुलिस ने साक्ष्य होते हुए भी नामजद अभियुक्तों में शामिल महफूज अख्तर काे साक्ष्य होते हुए भी नाम बाहर करने का तथ्य उजागर किया था। समाचार में यह भी बताया था कि महफूज अख्तर के मोबाइल रिकार्ड में शूटर्स से बातचीत के साक्ष्य हैं। बाद में बैकफुट पर आई पुलिस ने दोबारा पूरक चार्जशीट में महफूज का नाम जोड़ा था। पुलिस महफूज और सऊद अख्तर की गिरफ्तारी के लिए दबिशें दे रही थी। पुलिस को चकमा देकर दोनों भाइयों ने मंगलवार को सीजेएम कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। इससे पुलिस की कार्यशैली पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा है।
एडीजी की सख्ती में टूटी पुलिस
दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद एडीजी जय नारायन सिंह ने स्वयं मामला संज्ञान में लिया था। उनकी सख्ती के बाद पुलिस को बैकफुट पर आना पड़ा था। एसएसपी डॉ. प्रीतिंदर सिंह ने भी मामले में जांच एसपी पश्चिम को दिया था। साथ ही जांच में जुटी पुलिस टीम को सख्त संदेश दिया।
बेटी ने लगाए थे गंभीर आरोप
बसपा नेता पिंटू सेंगर की अधिवक्ता बेटी अपर्णा सेंगर ने पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक पुलिस ने शुरुआत में हत्याकांड की कड़ियों को बेहतर ढंग से जोड़ा। सही आरोपित पकड़े गए लेकिन चार्जशीट को देखकर लग रहा है कि आरोपितों को बचाने का प्रयास किया गया है। इससे पहले भी पुलिस शुभानअल्ला और सऊद अख्तर के नाम निकाल चुकी थी। जबकि कई ऐसे लोगों हैं जिन्होंने बयान दिया है कि मनोज गुप्ता ने उनसे कहा था कि जल्द ही वह पिंटू सेंगर को रास्ते से हटा देगा। मगर, उनसे बयान नहीं लिए गए।