UGC ने जारी की गाइड लाइन, अब और भी कठिन हुई PHD की पढ़ाई
प्री-पीएचडी कोर्सवर्क में 30 घंटे अतिरिक्त पढऩा होगा दो अतिरिक्त विषय जुड़े।
कानपुर, [समीर दीक्षित]। अगले सत्र से पीएचडी करना और भी कठिन हो जाएगा। विवि अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पीएचडी को और अधिक कठिन कर दिया है। अगले सत्र से छात्र-छात्राओं को प्री-पीएचडी कोर्सवर्क के दौरान अपने विषय के अलावा 'रिसर्च' व 'पब्लिक एथिक्स' पाठ्यक्रम की पढ़ाई भी करनी होगी। इसके लिए यूजीसी की ओर से दो क्रेडिट कोर्स की शुरुआत की जाएगी। इस संबंध में यूजीसी ने सभी विश्वविद्यालय के कुलपतियों को निर्देश भी जारी कर दिए हैं।
अलग-अलग छह मॉड्यूल होंगे
इन सभी क्रेडिट कोर्स में कुल छह अलग-अलग मॉड्यूल होंगे। जिनकी पढ़ाई के लिए 30 घंटे का समय तय किया गया है। अलग-अलग मॉड्यूल के लिए संबंधित शोध केंद्रों पर कक्षाओं का संचालन भी किया जाएगा। वैसे अभी तक प्री-पीएचडी कोर्सवर्क में छात्र-छात्राओं को छह माह तक उनके विषय से संबंधित पाठ्यक्रमों की पढ़ाई कराई जाती रही है। कोर्सवर्क पूरा होने के बाद छात्र-छात्राओं को सेमेस्टर परीक्षाएं देनी होती हैं।
परास्नातक में 10 वर्षों का अनुभव रखने पर बनेंगे गाइड
छात्र-छात्राओं के पाठ्यक्रम बदलने के साथ ही पर्यवेक्षक की योग्यता संबंधी मानक में भी बदलाव किया गया है। अब वह शिक्षक ही गाइड बन सकेंगे, जिन्होंने परास्नातक में 10 वर्षों का अनुभव लिया है। उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा, कि अनुभव की यह अवधि उनके संबंधित विषय में होनी चाहिए। सीएसजेएमयू के डीन एकेडमिक अफेयर्स प्रो. संजय स्वर्णकार का कहना है कि आगामी सत्र से पीएचडी करने वाले छात्र-छात्राओं को पहले से अधिक मेहनत करनी होगी। पीएचडी की राह अब आसान नहीं। सभी को प्री-पीएचडी कोर्सवर्क के दौरान दो नए क्रेडिट कोर्स की पढ़ाई करनी होगी।
शामिल मॉड्यूल और उनकी अवधि
- फिलास्फी एंड एथिक्स चार घंटे
- साइंटिफिक कंडक्ट चार घंटे
- पब्लिकेशन एथिक्स सात घंटे
- ओपेन एक्सेस पब्लिशिंग चार घंटे
- पब्लिकेशन मिसकंडक्ट चार घंटे
- डाटाबेस एंड रिसर्च मेट्रिक्स सात घंटे