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PFI ने टेरर फंडिंग के लिए हिंदू देवी-देवताओं और महापुरुषों के नाम का किया था इस्तेमाल

बालाजी सरस्वती दयानंद आदि नाम से सोसाइटी बनाकर बैंक खाते खोले थे केरल असम पश्चिम बंगाल समेत कई राज्यों से रकम आई।

By AbhishekEdited By: Published: Wed, 05 Feb 2020 04:34 PM (IST)Updated: Wed, 05 Feb 2020 04:34 PM (IST)
PFI ने टेरर फंडिंग के लिए हिंदू देवी-देवताओं और महापुरुषों के नाम का किया था इस्तेमाल
PFI ने टेरर फंडिंग के लिए हिंदू देवी-देवताओं और महापुरुषों के नाम का किया था इस्तेमाल

कानपुर, जेएनएन। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर आतंक फैलाने के लिए पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआइ) ने खुफिया एजेंसियों को भरमाने का पूरा प्रयास किया था। आतंकी फंडिंग के लिए उसने हिंदू महापुरुषों के नाम से फर्जी सोसायटियां बनाकर बैंक खाते खोले थे। इन्हीं खातों से दो माह में लाखों रुपये का लेन-देन हुआ। खातों की डिटेल वाट्सएप ग्र्रुप से फंड देने वालों को दी गई थी। जांच एजेंसियों को अब तक ऐसे चार खातों की जानकारी मिली है।

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खुफिया एजेंसियां कर रही छानबीन

सीएए और एनआरसी को लेकर विभिन्न शहरों में हुए उपद्रव में केरल के चरमपंथी संगठन पीएफआइ का नाम सामने आने के बाद एटीएस, एसटीएफ के साथ ही केंद्रीय खुफिया एजेंसियां भी छानबीन में जुटी हैं। स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (एसआइटी) ने शुक्रवार को पीएफआइ से जुड़े पांच सदस्यों मो. उमर, रिटायर्ड शिक्षक सैयद अब्दुल हई, फैजान, मो. वासिफ व सरवर आलम को गिरफ्तार कर जेल भेजा था। उनके मोबाइल की जांच की गई तो हिंदू नामों से चार सोसायटी के बैंक खातों का पता चला है। बालाजी, सरस्वती, दयानंद आदि नाम से सोसायटियों का गठन किया गया, फिर इन्हीं नामों से बैंक खाते खोले गए।

कई राज्यों से जमा कराई गई रकम

पुलिस सूत्रों के अनुसार केरल, असम, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और मुंबई से भी खातों में रकम जमा की गई। इस रकम का इस्तेमाल रिटायर्ड शिक्षक व उसके साथियों ने विरोध प्रदर्शनों के लिए किया था। खातों में अब तक 80 लाख रुपये से ज्यादा का ट्रांजेक्शन हो चुका है। पुलिस इन खातों को सीज करा रही है। साथ ही खातों में पैसा डालने वालों की तलाश में जुटी है। बाबूपुरवा सीओ आलोक सिंह बताते हैं कि पीएफआइ के जिन सदस्यों को जेल भेजा गया, उनके मोबाइल की जांच में सोसायटी नाम से खोले गए बैंक खातों का पता चला है। उच्च स्तरीय एजेंसियां जांच में जुटी हैं, जल्द ही कुछ और लोगों पर कार्रवाई होने की उम्मीद है।

हई की नुमाइंदगी में 2015 में हुआ था गोपनीय सम्मेलन

कानपुर में पीएफआइ की जड़ें उम्मीद से ज्यादा गहरी हैं। जैसे-जैसे खुफिया एजेंसियों की जांच आगे बढ़ रही है, एक के बाद एक राजफाश हो रहे हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की जांच और इनपुट के बाद जांच में तेजी आई। सूत्रों के मुताबिक एनआइए (राष्ट्रीय जांच अभिकरण) ने छह नामों को लेकर पुलिस को इनपुट दिया था। एसएसपी अनंत देव ने बताया कि लेबर कॉलोनी, फहीमाबाद निवासी रिटायर्ड मदरसा शिक्षक सैयद अब्दुल हई हाशमी की नुमाइंदगी में वर्ष 2015 में चमनगंज में पीएफआइ का गोपनीय सम्मेलन हुआ था। संगठन की बैठकों का दौर चलता रहा। शहर में पीएफआइ के सौ से अधिक सदस्य हैं, जो बवाल के दौरान सक्रिय रहे। इनकी पहचान कर शिकंजे में लिया जाएगा।


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