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बेहमई नरसंहार : वादी पक्ष ने गुजरात केस का हवाला देकर आरोपितों के लिए मांगी सजा-ए-मौत

Behmai Massacre वादी के अधिवक्ता ने सुप्रीम कोर्ट की रूङ्क्षलग दाखिल करके दुर्लभ केस बताया है।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 18 Jan 2020 12:57 PM (IST)Updated: Sat, 18 Jan 2020 03:41 PM (IST)
बेहमई नरसंहार : वादी पक्ष ने गुजरात केस का हवाला देकर आरोपितों के लिए मांगी सजा-ए-मौत
बेहमई नरसंहार : वादी पक्ष ने गुजरात केस का हवाला देकर आरोपितों के लिए मांगी सजा-ए-मौत

कानपुर देहात, जेएनएन। बेहमई सामूहिक नरसंहार मामले में देशभर की नजरें लगी हुई हैं। बीती छह जनवरी को वारी पक्ष ने रूलिंग दाखिल करने के लिए समय मांगा था, जिसपर कोर्ट का फैसला 18 जनवरी तक टल गया था। वादी पक्ष ने तत्कालीन परिस्थितियों का हवाला देकर न्यायालय में सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग दाखिल की है। साथ ही स्टेट ऑफ गुजरात बनाम कृष्णा भाई मामले का हवाला देकर आरोपितों को मृत्युदंड की मांग की है।

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वादी राजाराम के अधिवक्ता विनीत सिंह बताते हैं कि 39 साल पहले बेहमई गांव में डकैतों ने जो खून की होली खेली, वह दुर्लभतम से दुर्लभतम मामला है। एक साथ 80-90 घरों में लूटपाट और 20 लोगों को मौत के घाट उतार देना सामान्य घटना नहीं है। घटना से पीडि़त जंटर सिंह व वकील सिंह दो गवाह अभी भी मौजूद हैं। घटना के तत्काल बाद एफआइआर दर्ज होना भी केस का सकारात्मक बिंदु हैं।

उन्होंने बताया कि शुक्रवार को विशेष न्यायाधीश दस्यु प्रभावित कोर्ट में सुप्रीम कोर्ट की रूलिंग दाखिल की है। जिला बार एसोसिएशन के अध्यक्ष जितेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि धारा 396 (डकैती व हत्या) में मृत्युदंड के साथ ही आजीवन कारावास व जुर्माने का प्रावधान है लेकिन यह केस की गंभीरता व तत्कालीन परिस्थिति पर निर्भर करता है। वहीं, कम से कम 10 साल सजा व जुर्माने का प्रावधान है।

इस केस का दिया हवाला

स्टेट ऑफ गुजरात बनाम कृष्णा भाई 2014 के मामले में डकैती, दुष्कर्म व हत्या कारित करने में गुजरात हाईकोर्ट की ओर से मृत्युदंड की सजा सुनाई गई थी। बचाव पक्ष की ओर से सुप्रीम कोर्ट में जेल में बिताई अवधि का हवाला देकर सजा कम करने की मांग की गई थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उच्च न्यायालय के फैसले को यथावत रखा था।

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