शहर की शरई अदालतों को संरक्षण देगा पर्सनल लॉ बोर्ड
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश के सभी जिलों में दारुलकजा यानी शरई अदालतों की स्थापना करेगा।
जागरण संवाददाता, कानपुर
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड देश के सभी जिलों में दारुलकजा यानी शरई अदालत स्थापित करेगा, लेकिन कानपुर में नहीं। दरअसल, शहर में पहले से ही शरई अदालतें चल रही हैं। बोर्ड इनको ही संरक्षण देकर मजबूती प्रदान करेगा। पर्सनल लॉ बोर्ड की 15 जुलाई को लखनऊ में होने वाली बैठक में शरीयत से जुड़े कई मुद्दे रखे जाएंगे।
आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की कोशिश है कि लड़कियों को उनके पिता की जायदाद में हिस्सा मिले। घरेलू ¨हसा और एक साथ तीन तलाक की घटनाओं को रोका जाए। शौहर से बीवी को खर्च के लिए रकम भी दिलाई जाए। पर्सनल लॉ बोर्ड के सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि कानपुर में बोर्ड कोई दारुलकजा स्थापित नहीं करेगा, क्योंकि यहां सभी मसलक की शरई अदालत पहले से हैं।
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इनसे संपर्क कर सकता बोर्ड
ø शहर जमीअत उलमा की शरई अदालत रजबी रोड।
ø मदरसा अहसानुल मदारिस, नई सड़क।
ø मदरसा इशाअतुल उलूम की शरई अदालत कुलीबाजार।
ø फेथफुलगंज में अहले हदीस की शरई अदालत।
ø नवाब दूल्हा पटकापुर, जूही लाल कालोनी, ग्वालटोली मकबरा में शरई फैसले देने वाले शिया उलमा।
शरई अदालतों का कार्यक्षेत्र
कानपुर नगर, कानपुर देहात, उरई, फतेहपुर, मौदहा, हमीरपुर, खागा, बिंदकी, अकबरपुर, झांसी प्रमुख हैं।
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ये मामले आते शरई अदालतों में
ø तलाक, पिता की विरासत में बेटी का हिस्सा, घरेलू ¨हसा, तीन तलाक, पति का गायब हो जाना, पत्नी व बच्चों को खर्चा नहीं देना आदि प्रमुख हैं।
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तेज तर्रार महिलाओं की तलाश
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड कुछ तेज तर्रार एवं बुद्धिजीवी मुस्लिम महिलाओं की तलाश कर रहा है जिन्हें बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है। बोर्ड का मानना है कि एक साथ तीन तलाक, हलाला समेत अन्य मुद्दों पर शरई की जानकारी नहीं होने के बाद भी महिलाएं बेवजह वाद विवाद में उतर आती हैं। ऐसी महिलाओं की काउंसिलिंग करने की जरूरत है।