शहर की हवा में हानिकारक गैसों की मात्रा ने तोड़ा रिकॉर्ड, लोगों का हाजमा बिगाड़ रहा प्रदूषण
अस्पतालों में पेट की समस्या लेकर काफी संख्या में मरीज पहुंच रहे हैं।
कानपुर, जेएनएन। हाल ही में आई रिपोर्ट में शहर की हवा में हानिकारक गैसों की मात्रा अब रिकार्ड स्तर से भी ज्यादा हो गई है। हवा में घुली इन हानिकारक गैसों ने नाक, गला, फेफड़ा के साथ ही पेट को भी प्रभावित करना शुरू कर दिया है। वायु प्रदूषण की वजह से हाजमा बिगड़ रहा है। सरकारी और निजी अस्पतालों में पेट की समस्या लेकर काफी संख्या में लोग आ रहे हैं।
हवा में खतरे का निशान पार कर गया पीएम 2.5
वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआइ) की स्थिति और भी ज्यादा खराब हो गई है। हवा में हानिकारक गैसों की अधिकतम मात्रा ने रिकॉर्ड तोड़ दिया है। पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 2.5) का घनत्व खतरे के निशान को पार कर गया है। अभी तक अधिकतम मात्रा 452 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर रहा है, जो बढ़कर 484 पहुंच गया है। यह स्थिति केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) की ओर से शनिवार को जारी रिपोर्ट सामने आई है।
इस तरह पेट का रोगी बना रहा वायु प्रदूषण
अस्पताल में आने वाले मरीजों में 30 फीसद ऐसे हैं, जो कि संतुलित व संयमित भोजन करते हैं। दूषित गैसों की वजह से पेट साफ नहीं हो रहा है, जिसके चलते गैस, बदहजमी, खट्टी डकार आना शुरू हो गया है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉ. कुणाल सहाय ने बताया कि वायु प्रदूषण और बराबर हानिकारक गैसों के संपर्क में रहने से डाइजेस्टिव एंजाइम पर नकारात्मक असर पड़ता है। यह खाने को पचाने में सहायक है, यह एंजाइम अधिकतर अति सूक्ष्म कणों के खून में पहुंचने पर प्रभावित होता है। साधारण दवाओं के इस्तेमाल से पेट की समस्या ठीक हो जाती है। ओपीडी में आने वाले 50 फीसद पेट के रोगी दोपहिया वाहन चालक हैं।
ऑक्सीजन के सहारे शरीर में पहुंच रहीं हानिकारक गैसें
हानिकारक गैसों की मात्रा के यही हालात रहे तो शहर का वायु प्रदूषण और भी ज्यादा हो जाएगा। कोहरे में मिलकर अत्याधिक सूक्ष्म कण (पीएम 2.5, पीएम वन, पीएम नैनो) घातक हो जाते हैं। नाक, गले, फेफड़े ही नहीं खून को भी प्रभावित कर सकते हैं। सबसे अधिक समस्या छोटे बच्चों और बुजुर्गों के लिए है। डॉक्टर सुबह और शाम के वक्त सैर के लिए मना कर रहे हैं। खिलाडिय़ों के लिए भी कोहरे में अभ्यास करना हानिकारक हो सकता है। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज की मेडिसिन विभागाध्यक्ष प्रो. रिचा गिरी के मुताबिक दौडऩे या व्यायाम करने से नाक और मुंह के रास्ते तेजी से ऑक्सीजन फेफड़ों में पहुंचती है। हवा में मौजूद खतरनाक तत्व शरीर में प्रवेश कर जाते हैं।
कानपुर देश का छठवां सबसे प्रदूषित शहर
शहर एक्यूआइ
गाजियाबाद 394
नोएडा 388
दिल्ली 371
ग्रेटर नोएडा 366
पानीपत 362
कानपुर 359
फरीदाबाद 357
भिवाड़ी 354
भिवानी 343
वल्लभगढ़ 331
(मात्रा माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर है।)
गैसों की हानिकारक मात्रा
गैस औसत अधिकतम
पीएम 2.5 352 484
एनओटू 89 178
एसओटू 21 72