कृषि वैज्ञानिकों ने माना-लोगों को गंभीर रोगी बना रहीं हरी सब्जियां और फल Kanpur News
कीटनाशक छिड़काव कर बाजार में उतारी जा रही सब्जियां और फल हानिकारक।
कानपुर, जेएनएन। सेहतमंद रहने के लिए हरी सब्जियां और फल खाने पर ज्यादा जोर दिया जाता हैं लेकिन शायद लोग यह नहीं जानते हैं कि यही सब्जियां अब रोगी बना रही हैं। शहरों में बीमारियों का प्रकोप बढ़ रहा है और लोग गंभीर बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं। इसका कारण सब्जियों और फलों में रसायन का प्रयोग होना है। इस बात को अब कृषि वैज्ञानिकों ने भी मान लिया है। सब्जियों और फलों को संरक्षित रखने के लिए उसपर कीटनाशक का छिड़काव लोगों की सेहत के लिए बेहद हानिकारक साबित हो रहा है।
कैंसर और फेफड़ों का रोगी बना रही सब्जियां
चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के राष्ट्रीय सम्मेलन में आए असम कृषि विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक प्रो. एएन मुखोपाध्याय ने रसायनिक कीटनाशक से सेहत को हो रहे नुकसान के बारे में बताया। वह पिछले चालीस साल से रसायनिक कीटनाशक के प्रभाव पर शोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि फसलों को संरक्षित रखने के लिए रासायनिक कीटनाशक के उपयोग से लोग बीमार पड़ रहे हैं। रसायन छिड़कने के दूसरे दिन ही सब्जियां बाजार में उतार दी जाती हैं, जो लोगों को कैंसर, त्वचा, रक्तचाप व फेफड़ों का रोगी बना रही हैं।
विदेशों में प्रतिबंधित है रसायन का इस्तेमाल
उन्होंने कहा कि रसायन के इस्तेमाल से फसल भरपूर मिलती है, लेकिन धीरे धीरे जमीन की उर्वरक क्षमता खत्म हो जाती है, इससे किसानों को बचना होगा। जैविक कीटनाशक हर हाल में बेहतर होता है। नीम इसका सबसे सटीक उदाहरण है। हमारे देश में अभी भी क्लोरोपाइरीफास जैसे रसायनों का इस्तेमाल खेती किसानी में हो रहा है जो विदेश में प्रतिबंधित हैं।
70 फीसद फसलों को बचाया जा सकता
केंद्रीय उपोष्ण उद्यान संस्थान रहमान खेड़ा के पूर्व प्रधान वैज्ञानिक प्रो. एके मिश्रा ने बताया कि हॉट वाटर ट्रीटमेंट, बायोलॉजिकल कंट्रोल, अल्ट्रा वायलेट रेडिएशन पादप से फसलों को 70 फीसद तक बचाया जा सकता है। यह इलाज फसलों को फंगस, वायरस व बैक्टीरिया सभी से बचाने में कारगर हैं।