Oxygen Shortage In kanpur : लोग डेढ़ लाख रुपये देने को तैयार है, पर नहीं मिल पा रहा ऑक्सीजन कंसंट्रेटर
एक्सपर्ट के अनुसार आमभाषा में कंसंट्रेटर को जनरेटर कहा जाता है। इस मशीन के जरिए घर पर ही ऑक्सीजन का निर्माण एक मिनी प्लांट के रूप में किया जाता है। इस मशीन से मरीज को पांच से दस लीटर तक स्वच्छ ऑक्सीजन प्रति मिनट तक मिल जाती थी।
कानपुर, जेएनएन। मिनी ऑक्सीजन प्लांट के नाम से बाजारों में चॢचत जीवनरक्षक मशीन ऑक्सीजन कंसंट्रेटर बाजारों में खोजे नहीं मिल रही है। जिस मशीन के पहले खरीददार नहीं मिलते थे और कंपनी ट्रायल के तौर पर डीलर को देकर चली जाती थी, आज वो डेढ़ लाख रुपये में भी नहीं मिल रही। एक्सपर्ट के अनुसार आमभाषा में कंसंट्रेटर को जनरेटर कहा जाता है। इस मशीन के जरिए घर पर ही ऑक्सीजन का निर्माण एक मिनी प्लांट के रूप में किया जाता है। इस मशीन से मरीज को पांच से दस लीटर तक स्वच्छ ऑक्सीजन प्रति मिनट तक मिल जाती थी। खास बात यह है कि इसे चलाने के लिए अलग से किसी भी प्रकार के सिलिंडर की जरूरत नहीं पड़ती है। पानी का उपयोग कर बिजली से चलने वाला यह जनरेटर वातावरण की शुद्ध ऑक्सीजन को लेकर शरीर में पूर्ति करता है।
दिल्ली से मशीन न आने से समस्या : कानपुर केमिस्ट वेलफेयर एसोसिएशन के महामंत्री व दवा कारोबारी शिव कुमार गुप्ता के मुताबिक शहर में इस मशीन की आपूर्ति दिल्ली से होती थी। बंदी और लॉकडाउन के चलते शहर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर नहीं मिल पा रहे हैं। शहर के डीलर दिल्ली के साथ कोलकाता, जयपुर, चेन्नई भी संपर्क साध रहे हैं, परंतु सप्लाई नहीं हो पा रही है। उन्होंने बताया, पहले जो मशीन आसानी से 30 हजार में मिल जाती थी। अब वो डेढ़ लाख तक में नहीं मिल पा रही। शहर में ऑक्सीजन कंसंट्रेटर के 12 से 14 डीलर हैं।
200 रुपये प्रतिदिन के किराये पर मिलती थी : दवा कारोबारियों की मानें तो पहले इस मशीन को लोग 200 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से किराये पर लेकर जाते थे। इसे खरीदने वालों की संख्या महीने में चार से पांच तक ही रहती थी। कोविड के कारण खड़े हुए ऑक्सीजन संकट पर इसका बाजार सैकड़ों की संख्या में पहुंच गया है।
पल्स ऑक्सीमीटर तीन से चार गुना महंगा : प्रशासन की सख्ती के चलते दवाओं की कालाबाजारी करने वालों पर रोक जरूर लगी है, परंतु 500 से 700 तक में मिलने वाला पल्स ऑक्सीमीटर अभी भी शहर के बड़े दवा बाजारों में 2100 से तीन हजार तक में बिक रहा है।