सीएसए की पहल से कई गांवों में जैविक खेती
चंद्रशेखर आजाद (सीएसए) कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की पहल पर कानपुर, कन्नौज और जालौन के 300 से अधिक किसान जैविक खेती कर रहे हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर : चंद्रशेखर आजाद (सीएसए) कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय की पहल पर कानपुर, कन्नौज और जालौन के 300 से अधिक किसान जैविक खेती करने लगे हैं। उनके यहां खेतों की तैयारी से लेकर फसलों की पैदावार तक जैविक विधि का इस्तेमाल किया जा रहा है। 10-10 किसानों के बीच में जैविक खाद तैयार करने वाला टैंक बनाया गया है, जिसमें सब्जियां, सड़ा खाना और फसलों के अवशेष डाले जाते हैं। यह प्रक्रिया 60-70 दिन में खाद के रूप में तब्दील हो जाती है। किसानों के खेतों में उगी फसलों की गुणवत्ता की जांच के लिए उन्हें देश के कई सेंटरों में भेजा गया है। वहां से हरी झंडी मिलने पर प्रमाणिकता हो जाएगी। सीएसए की ओर से कई मल्टी नेशनल कंपनियों से करार हो गया है, जो किसानों के खेत से सीधे फसलें उठाएंगी और उन्हें बाजार तक ले जाएंगी।
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82 लाख की योजना
पिछले साल राष्ट्रीय कृषि योजना के अंतर्गत सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि को 82 लाख रुपये मिले थे। यह सब्जी उत्पादक कृषकों के खेतों में जैविक खेती का प्रचार एवं विस्तार के लिए थे। इसमें किसानों को जैविक खेती के लिए जागरूक करना और प्रशिक्षित करना शामिल है।
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इटली के केचुओं का इस्तेमाल
जैविक खाद के लिए इटली के खास तरह के केचुओं का इस्तेमाल किया जा रहा है। यह 60 दिनों में खाद तैयार कर देते हैं। इन केचुओं को जालौन की एक इकाई मुहैया कराती है।
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इन गांवों में हो रही जैविक खेती
कानपुर
मानपुर गांव (शिवराजपुर)
गड़बेदीपुर (बिल्हौर)
अकबरपुर (बिल्हौर)
गदनपुराहर (बिल्हौर)
तरीपाठकपुर (चौबेपुर)
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कन्नौज
पंचपोखरा (तालग्राम)
सरायदौलत (तालग्राम)
रौतामाई (तालग्राम)
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जालौन
मंडोरी, भदवा, डुबरा, लौना
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कहां कहां हुई खेती
कानपुर- टमाटर, भिंडी
कन्नौज- धनिया, बैगन, फूलगोभी
जालौन- हरी मटर
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जैविक खेती के फायदे
- उर्वरा शक्ति बड़ जाती है
- ताजी सब्जियां
- हानिकारक कीटनाशकों का उपयोग नहीं
- कई दिन तक खराब नहीं होगी
- सब्जियां में खुशबू आएगी
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'जैविक खेती से किसानों और उपभोक्ताओं को काफी लाभ मिल रहा है। उनकी फसलों की गुणवत्ता के प्रमाणीकरण के लिए जांच कराई जा रही है।'
- डॉ. डीपी सिंह, संयुक्त निदेशक शोध, सीएसए कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि