शहर की हवा को जहरीली करने में प्रतिदिन 137 टन धूल की मात्रा
आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने पीएम 10 का तैयार किया डाटा, हर रोज शहर की फिजां में पहुंच रहा 153 टन प्रदूषण।
कानपुर (शशांक शेखर भारद्वाज)। देश दुनिया में कानपुर का नाम यू ही बदनाम नहीं हो रहा। शहर की खुदी सड़कें, जाम में फंसे वाहन से निकलने वाला धुआं और जलाया जा रहा कूड़ा, शहर की फिजा में न केवल जहर घोल रहे हैं, बल्कि हवा भी भारी कर रहे हैं। कानपुर की फिजा में हर रोज 153 टन प्रदूषण पहुंच रहा है, जिसमें केवल धूल की मात्रा ही 137 टन है। वायुमंडल में इनका घनत्व दिन ब दिन बढ़ रहा है।
आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग ने खास तरह के मोबाइल एयर सैंपलर से पर्टिकुलेट मैटर (पीएम 10) की रिपोर्ट तैयार की है। इससे सड़क उड़ती धूल, जलता कूड़ा, कचरा, वाहनों के धुएं की मात्रा नापी जा रही है। विभाग ने वर्ष 2015 से लिए जा रहे सैंपल की रिपोर्ट तैयार की तो यह परिणाम निकले। आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. मुकेश शर्मा ने बताया कि वायु प्रदूषण की नए सिरे से स्टडी की जा रही है। शहर में पर्टिकुलेट मैटर की सबसे ज्यादा समस्या है। इन्हें नियंत्रित करने की आवश्यकता है।
कई हिस्सों में लगाए गए सैंपलर
आइआइटी ने दो साल तक कई हिस्सों में एयर सैंपलर लगाए। इनमें अमेरिका से मंगवाए उपकरणों को इंस्टॉल किया गया। यह उपकरण डिजिटल रूप से अत्यधिक संवेदनशील हैं और सैंपल में मौजूद सभी कारकों को आसानी से अलग-अलग कर देते हैं। वह चाहे वाहन से निकलता धुआं हो या फिर उड़ती हुई धूल।
इतना प्रदूषण फैलाते हैं हम
सड़क की धूल 136193.9 किलोग्राम
वाहन 5520.8 किलोग्राम
औद्योगिक 4309.9 किलोग्राम
घरेलू 3174.6 किलोग्राम
कूड़ा जलना 2111.9 किलोग्राम
होटल व रेस्टोरेंट 765.5 किलोग्राम
कंस्ट्रक्शन 398.5 किलोग्राम
डीजी सेट 252.1 किलोग्राम
दाह संस्कार 39 किलोग्राम
आइआइटी ने यहां लगाए सैंपलर
यह विकास नगर, नौबस्ता, चकेरी, स्वरूप नगर, सिविल लाइंस