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Chhath-Puja 2109 : उगा उगा हे सुरुज देव भइल अरघिया के बेर ... जैसे गीतों से गूंज उठे घाट Kanpur News

महिलाओं ने उदय होते सूर्य को अघ्र्य देकर किया व्रत का पारण की संतान के दीर्घायु व परिवार के सुख समृद्धि की कामना।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 04 Nov 2019 11:02 AM (IST)Updated: Mon, 04 Nov 2019 11:02 AM (IST)
Chhath-Puja 2109 : उगा उगा हे सुरुज देव भइल अरघिया के बेर ... जैसे गीतों से गूंज उठे घाट Kanpur News
Chhath-Puja 2109 : उगा उगा हे सुरुज देव भइल अरघिया के बेर ... जैसे गीतों से गूंज उठे घाट Kanpur News

कानपुर, जेएनएन। उगा उगा हे सुरुज देव भइल अरघिया के बेर ... 'हे छठी मइया तोहार महिमा अपार ...' व 'अदिति लेहो मोर अरघिया....जैसे अन्य भक्ति गीतों को गाते हुए महिलाओं ने भगवान सूर्य नारायण को अघ्र्य दिया। उदय होते सूर्य को अघ्र्य देकर संतान के दीर्घायु और परिवार के लिए सुख समृद्धि की कामना की। एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरा और सुहागन रहने का आशीर्वाद दिया। पूजन अर्चन के उपरांत ठेकुआ और अदरक खाकर महिलाओं ने व्रत का पारण किया।

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डाला छठ की सप्तमी तिथि की भोर भगवान आदित्य से आरोग्यता, यश, वैभव और कीर्ति का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालु रात तीन बजे से ही घाटों पर पहुंचने लगे थे। भोर की बेला नजदीक आयी तो पानी में कमर तक खड़े होकर हाथ में नारियल लेकर महिलाएं, पुरुष और बच्चे सूर्य भगवान के उदय होने की प्रतीक्षा करने लगे। हालांकि आसमान में छायी बदरी ने भगवान सूर्य के दर्शनों की अभिलाषा लेकर खड़े श्रद्धालुओं को काफी इंतजार भी कराया। बादलों के बीच से भगवान सूर्य नारायण प्रगट हुए तो छठ मैया के जयकारे शुरू हो गए। महिलाओं के साथ पुरुषों ने भी उन्हें अघ्र्य दिया। महिलाओं ने अखंड सौभाग्य और परिवार की खुशहाली की कामना की तो पुरुषों ने भी पद, प्रतिष्ठा और ऐश्वर्य का वरदान प्रभु से मांगा। नवविवाहित महिलाओं में छठ पर्व को लेकर कुछ ज्यादा ही उत्साह दिखायी दिया।

ठेकुआ खाकर किया व्रत का पारण

छठ पर्व पर निर्जला व्रत करने वाली महिलाओं ने भगवान सूर्य के दर्शन व पूजन करने के बाद अदरक और ठेकुआ का सेवन कर व्रत का पारण किया। इसके बाद लोगों को प्रसाद के रूप में उसे वितरित किया गया। फल व अन्न का दान भी किया।

भगवान सत्य नारायण की कथा सुनी

कार्तिक मास में भगवान विष्णु के पूजन का विशेष महत्व है। ऐसे में व्रत का पारण करने से पूर्व तमाम परिवारों में सत्य नारायण भगवान की कथा सुनी गई साथ ही आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ भी किया।

मांग में भरा सिंदूर

घाट पर महिलाओं ने एक दूसरे की मांग में सिंदूर भरा। मान्यता है कि सुहाग के प्रतीक सिंदूर को एक दूसरे की मांग में भरने से पति दीर्घायु होते हैं और दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है। घाटों पर सास और बहू ने एक दूसरे को सिंदूर तो लगाया ही घर की अन्य महिलाओं ने भी बहुओं की मांग भरी।

इन घाटों पर हुआ पूजन

लाजपत नगर नारायण पुरवा तालाब, नमक फैक्ट्री चौराहा, साकेत नगर, सीटीआई, बर्रा, अर्मापुर और पनकी नहर के घाटों के साथ ही शास्त्री नगर बड़ा और छोटा सेंट्रल पार्क में आस्था का सैलाब उमड़ा। इसके साथ ही गोलाघाट, मैग्जीन घाट, गंगा बैराज, सिद्धनाथ घाट, कोयला घाट, मेस्कर घाट पर भी लोगों ने भगवान सूर्य को अघ्र्य देकर पूजन किया।

झिलमिल दीपों से नहा उठे घाट

भोर में घाटों पर पहुंचे श्रद्धालुओं ने दीपदान किया। हजारों दीप एक साथ जल में झिलमिलाते हुए लहरों के साथ आगे बढ़े तो लगा कोटि कोटि तारे भी आसमान से छठ पूजा की मनोहारी छठा को देखने जल में उतर आये हों। गंगा घाटों पर मां गंगा की आरती की गई। श्रद्धालुओं ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ मां का दूध, दही, घी से अभिषेक किया।

धुंध के कारण देर से हुए सूर्य देव के दर्शन

कोहरे और धुंध के कारण रविवार को भगवान सूर्य के दर्शन काफी देरी से हुए। सूर्योदय के बाद करीब सात बजे आसमान में भगवान सूर्य नारायण ने लालिमा बिखेरी। दर्शन हुए तो श्रद्धालुओं ने जयघोष कर उन्हें प्रणाम किया।

घाटों पर गूंजे गीत

-'अब लीहीं सुुरुज मल अरघिया आके करीं न दया..."

-घटवा के आरी- आरी रोपब केरवा, बोवब निबुआ...

-नाही छोड़ब हो भइया छठिया बरतिया लेले अइहा हो भइया छठ के मोटरिया...

-कहवां की सूरज के जनमवां कहवां ही होखे ला अजोर ...

-चारू पहर राती जल- थल सेइला सेइला चरन तोहर ए छठी मइया...

-'चार पहर सती जल थल सेइला, सेइला चरण तोहार हो छठी मइया दर्शन दीहिना तू आज..." 

-कातिक में अईह परदेसी बालम, घरे होला छठ... 


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