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विदेश में ओमिक्रोन से खतरा पर यहां वैक्सीन ने सुरक्षित किए फेफड़े और दिल, इस अध्ययन ने दी राहत

यूरोपियन हार्ट जर्नल में दिल-फेफड़े प्रभावित होने की रिपोर्ट पर कानपुर के कार्डियोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. एसके सिन्हा ने अध्ययन किया है। जिसमें यह सामने आया है कि वैक्सीन और कोरोना काल की लंबी अवधि की वजह यहां हर्ड इम्यूनिटी विकसित हो गई है।

By Abhishek VermaEdited By: Published: Wed, 19 Jan 2022 10:22 AM (IST)Updated: Wed, 19 Jan 2022 05:56 PM (IST)
विदेश में ओमिक्रोन से खतरा पर यहां वैक्सीन ने सुरक्षित किए फेफड़े और दिल, इस अध्ययन ने दी राहत
कार्डियोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. एसके सिन्हा ने यहां के मरीजों पर तुलनात्मक अध्ययन किया है।

कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। विदेश में भले ही कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन के संक्रमण ने फेफड़े और दिल की कार्यक्षमता प्रभावित की है लेकिन हमारे यहां लोगों को वायरस अधिक नुकसान नहीं पहुंचा पाया। इसकी वजह वैक्सीन का सुरक्षा कवच है। इस कवच को और मजबूत किया कोरोना काल की लंबी अवधि से विकसित हुई हर्ड इम्यूनिटी ने। संक्रमण के बाद हार्ट फेल्योर व हार्ट अटैक की समस्या लेकर आए मरीजों के फेफड़े व दिल में बदलाव हुए हैं, लेकिन यह पहले की तुलना में बहुत कम हैं। दरअसल यूरोपियन हार्ट जर्नल में हाल में प्रकाशित रिसर्च में ओमिक्रोन का दिल व फेफड़े पर साइड इफेक्ट होने की पुष्टि के बाद हृदय रोग विशेषज्ञों के कान खड़े हो गए थे। इस रिसर्च पर लक्ष्मीपत सिंहानिया हृदय रोग संस्थान के कार्डियोलाजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. एसके सिन्हा ने यहां के मरीजों पर तुलनात्मक अध्ययन किया है तो यह राहत देने वाली जानकारी सामने आई।  

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हल्के में न लें ओमिक्रोन को

डा. सिन्हा का कहना है कि यहां  ओमिक्रोन के अब तक आठ केस आए हैं। राज्य व देश में भी संख्या कम है। इसलिए कहा जा सकता है कि यहां सक्रिय वर्तमान कोरोना वायरस यानी ओमिक्रोन डेल्टा के मुकाबले कम घातक है। डेल्टा से कई गुणा अधिक संक्रामक है,जबकि लक्षण बहुत हल्के हैं। सर्दी-जुकाम, गले में खराश, बुखार व शरीर में दर्द के साथ संक्रमण होने पर पता नहीं चलता। ओमिक्रोन कोरोना का ही एक रूप है, जो शरीर के अंदर जाकर क्षति पहुंचाता है। इसलिए हल्के में लेने की भूल कतई न करें।

हार्ट अटैक व फेल्योर का भी खतरा

उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण से उबरने के बाद दिल के मरीज लापरवाही न बरतें। दिल में खून की आपूर्ति प्रभावित होने से ब्लड प्रेशर गिरता जाता है। धीरे-धीरे पीडि़त कार्डियक शाक में चला जाता है। इसलिए कोरोना से उबरने लोगों को हार्ट अटैक और हार्ट फेल्योर का खतरा अधिक रहता है। इसी तरह दिल की मांसपेशियां प्रभावित होने से लचीलापन खत्म होने से दिल फैल जाता है, जिसे एरिथमिया कहते हैं। ऐसे में हार्ट की पंपिंग कम हो जाती है, जिससे भी हार्ट फेल्योर होता है।

पहले ये आए थे साइड इफेक्ट

प र्व में कोरोना से उबरने के बाद आने वाले मरीजों के फेफड़ों व दिल पर बदलाव दिखे थे। फेफड़ों की छोटी नलिकाओं में खून की थक्के जमने से कार्यक्षमता प्रभावित हो रही थी। इस वजह से फेफड़े ठीक से आक्सीजन एक्सचेंज नहीं कर पाते थे। खून में पर्याप्त आक्सीजन मिलने से खून में गाढ़ापन आ रहा था। इस वजह से दिल की नसों में थक्का बनने लगते हैं, जिससे मायोकार्डियाइटिस, कार्डियक इंफ्लामेशन (हार्ट में सूजन) की समस्या हो रही थी।

देश में स्थिति बेहतर

यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित रिसर्च में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का शरीर पर साइड इफेक्ट की पुष्टि हुई है। इसमें वहां कोरोना संक्रमित हल्के व सामान्य लक्षण वाले 443 संक्रमित की जीनोम सिक्वेंसिंग कराई गई। जिन्हें संक्रमण हुआ था, उनके फेफड़े व दिल की क्षमता सामान्य कोरोना संक्रमितों की तुलना में 3-4 प्रतिशत तक कम हो गई थी लेकिन यहां वायरस उतना घातक नहीं है।

क्सीनेशन बना वरदान

- कोरोना की गंभीरता हुई कम।

- आक्सीजन की नहीं पड़ी जरूरत।

- फेफड़ों पर घातक असर नहीं।

- मृत्यु के खतरे को किया कम।


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