पुराना जाजमऊ पुल 43 साल में हो गया 'बूढ़ा'
जागरण संवाददाता, कानपुर: पुराना जाजमऊ पुल 43 साल की उम्र में बूढ़ा हो गया। सोमवार को दैनिक
जागरण संवाददाता, कानपुर: पुराना जाजमऊ पुल 43 साल की उम्र में बूढ़ा हो गया। सोमवार को दैनिक जागरण की टीम ने पुल की दुर्दशा का जायजा लिया तो हालात बेहद खराब मिले। लब्बोलुआब यह है कि विभागीय लापरवाही के चलते पुल अब चलने लायक ही नहीं बचा है।
दो जगहों पर सीमेंटेड लेयर के ऊपरी हिस्से में दरार पड़ गई है तो लगभग 50 फीसद डामर की लेयर गायब हो चुकी है। अगर जल्द ही इसकी मरम्मत शुरू नहीं की गई तो आने वाले दिनों में किसी प्रकार के बड़े हादसे से इन्कार नहीं किया जा सकता है। कानपुर-उन्नाव-लखनऊ को जोड़ने के लिए वर्ष 1975 में पुराना जाजमऊ पुल से यातायात शुरू हुआ था।
एनएचएआइ के अधिकारियों के मुताबिक सीमेंटेड ढांचे का पुल लगभग 100 वर्ष चलता है, लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पुल का मेंटीनेंस समय-समय पर हो। जानकारों की मानें तो 43 साल की उम्र इस पुल की केवल वर्ष 2009 में मरम्मत हुई थी। जबकि नियमों के मुताबिक पुल का मेंटीनेंस हर साल होना चाहिए। इसके अलावा सड़क की मरम्मत चार साल में बिटुमिन मास्टिक (कंकरीट) की मरम्मत दस साल में होनी चाहिए। वर्ष 2009 में मरम्मत का काम तो हुआ, बावजूद इसके नौ साल बाद ही पुल बेहद जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है।
यहां से बजी खतरे की घंटी
1-पुल में दो जगहों पर सीमेंटेड स्ट्रक्चर में ऊपर से दरारें पड़ गई हैं। दोनों ही दरारें अभी दो से ढाई फीट लंबी हैं। ऊपर से यह अंदाजा लगाना मुश्किल है कि इन दरारों ने पुल के स्ट्रक्चर को कहां तक क्षति पहुंचाई है।
2-कानपुर से उन्नाव जाते समय पिलर नंबर दो और तीन के ज्वाइंट पर एक बड़ा गड्ढा हो गया है। इस गड्ढे की वजह से पुल की बेय¨रग बैलेंस बिगड़ने का खतरा पैदा हो गया। जितने अधिक भारी वाहन बार-बार इस गड्ढे से गुजरेंगे, वाहनों का भार बेय¨रग बैलेंस को प्रभावित करेगा।
3-पुल का निर्माण कई भागों में अलग-अलग किया जाता है। दो स्लैब के बीच कुछ स्थान दिया जाता है। यह स्थान इसलिए छोड़ा जाता है ताकि वाहन गुजरते समय जो विचलन हो उसे बेय¨रग के माध्यम से नियंत्रित किया जा सके। इस स्थान को भरने में रबर का प्रयोग किया जाता है, जिसमें अब या तो बड़ा गैप हो गया है या कहीं-कहीं पर यह गैप समाप्त हो चुका है और बीच में कंकड़-पत्थर भर गए हैं। इन हालातों में वाहनों का भार सीधे पिलर पर पड़ता है, जिसकी वजह से पूरा स्ट्रक्चर प्रभावित होता है। इसी वजह से भारी वाहन गुजरने पर पुल का पूरा ढांचा हिलने लगता है।
4-पुल में डामर और बिटुमिन मास्टिक (कंकरीट) लेयर 50 फीसद से अधिक तक गायब हो चुकी है। इसकी वजह से कंकरीट स्ट्रक्चर पर वाहनों का सीधा भार पड़ रहा है। कई स्थानों पर कंकरीट स्ट्रक्चर टूट गया है और उसमें से लोहे की सरिया दिखाई देने लगी हैं।
एक नजर में पुल की कहानी
-1975 में शुरू हुआ था आवागमन ।
-2009 में केवल एक बार हुई मरम्मत ।
-1900 मीटर है पुल की लंबाई ।
-2.44 लाख वाहन रोजाना गुजरते हैं।
न फुटपाथ सुरक्षित और न रेलिंग
वाहन ही नहीं पुराना जाजमऊ पुल पर पैदल निकलना भी सुरक्षित नहीं है। जगह-जगह से फुटपाथ टूट गया है। गैप इतने बड़े हैं कि अगर नजर चूक जाए तो पैर नीचे चले जाए। वैसे तो पुल की रेलिंग जर्जर है, लेकिन दो स्थानों पर पूरी तरह से रेलिंग टूट चुकी है। जिसके चलते कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। एनएचएआइ प्रोजेक्ट डायरेक्टर पुरुषोत्तम लाल चौधरी का कहना है कि हमने बरसात से पहले बिटुमिन मास्टिक (कंकरीट) लेयर डाली थी। जल्द ही पुल पर मरम्मत का काम शुरू किया जाएगा।