लीपापोती में जुटे अफसर,पुलिस पर फोड़ा ठीकरा
उर्सला की मच्र्युरी से महिला का शव ठेले पर पोस्टमार्टम हाउस भेजने के मामले में अस्पताल के आला अफसर मानवीय संवेदनाएं भूलकर लीपापोती में जुट गए। इस पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ते हुए पुलिस के सिर पर ठीकरा फोड़ दिया है।
जागरण संवाददाता, कानपुर : उर्सला की मच्र्युरी से महिला का शव ठेले पर पोस्टमार्टम हाउस भेजने के मामले में अस्पताल के आला अफसर मानवीय संवेदनाएं भूलकर लीपापोती में जुट गए। इस पूरे प्रकरण से पल्ला झाड़ते हुए पुलिस के सिर पर ठीकरा फोड़ दिया है। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि पुलिस को शव सौंपने के बाद उनकी कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है।
दैनिक जागरण में खबर प्रकाशित होने के बाद सीएमओ डॉ. अशोक शुक्ला ने उर्सला के निदेशक से पूरे प्रकरण की जानकारी मांगी थी। उधर, शुक्रवार सुबह उर्सला अस्पताल के निदेशक डॉ. उमाकांत लखनऊ से सीधे अस्पताल पहुंचे। उन्होंने मुख्य चिकित्सा अधीक्षक (सीएमएस) डॉ. रामजी खन्ना एवं चिकित्सा अधीक्षक (एमएस) डॉ. मुन्ना लाल विश्वकर्मा के साथ बैठक की। पूरे प्रकरण की जानकारी हासिल की। पता चला कि मच्र्युरी से घाटमपुर के चॅवर गांव निवासी श्याम यादव की पत्नी सुनीता देवी (25) का शव ठेले से ही पोस्टमार्टम हाउस भेजा गया था। उर्सला निदेशक डॉ. उमाकांत का कहना है कि महिला की जलने से मौत हुई थी। पुलिस केस होने की वजह से शव पुलिस को सौंपा था। पुलिस कैसे शव ले गई, यह उसकी जिम्मेदारी है।
शासनादेश की अवहेलना
शासनादेश में स्पष्ट कहा गया है कि अस्पताल से शव वाहन से ही भेजा जाए। खुले में किसी भी सूरत में शव नहीं भेजा जाएगा। अस्पताल प्रशासन वाहन का इंतजाम कराएगा। अगर परिजन शव वाहन लेने से इंकार करते हैं तो उनसे लिखित में लेना चाहिए। अस्पताल प्रशासन ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। उर्सला निदेशक का कहना है कि अस्पताल की मच्र्युरी से शव पुलिस को सौंप दिया गया था। पुलिस ने शव ले जाने के लिए शव वाहन नहीं मांगा।
ठेले वाले से सादे कागज पर लगवाया अंगूठा
अस्पताल प्रशासन ने अपने बचाव के लिए उर्सला की मच्र्युरी से ठेले पर शव ले जाने वाले संतोष से सादे कागज पर अंगूठा लगवा लिया है। उसमें पुलिस द्वारा शव पोस्टमार्टम हाउस भेजने की बात लिखी गई है। वहीं संतोष का कहना है कि वह मच्र्युरी से रोजाना शव ठेले से पोस्टमार्टम हाउस पहुंचाता है।
किसी के पास नहीं है जानकारी
उर्सला के निदेशक डॉ. उमाकांत लखनऊ से आते-जाते हैं। कभी-कभार ही रुकते हैं। गंभीर मामला होने के बाद भी शाम को लखनऊ चले गए। उन्हें यह नहीं पता है कि शव वाहन से अब तक कितने शव घर पहुंचाए गए। उन्हें यह नहीं पता है कि वाहनों के डीजल-चालकों के वेतन पर कितना खर्च हुआ है।
शव वाहन के प्रभारी भी अनभिज्ञ
शव वाहन के प्रभारी डॉ. मुन्ना लाल विश्वकर्मा हैं। वही चालकों की लॉग बुक चेक करते हैं। बावजूद इसके उन्हें यह नहीं पता है कि शव वाहन से अब तक कितने शव घर या पोस्टमार्टम हाउस भेजे गए। हाल में हुई वीडियो क्रांफ्रेंसिंग में सचिव चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण ने शव वाहनों के बारे में जानकारी ली थी।
बोले जिम्मेदार
'बर्न केस था। बॉडी पुलिस को सौंप दी गई थी। उनके पास भी शव वाहन है। अगर कोई दिक्कत थी तो अवगत कराते वाहन उपलब्ध कराया जाता। पूरे प्रकरण से प्रमुख सचिव व महानिदेशक को अवगत करा दिया है।'
-डॉ. रामजी खन्ना, सीएमएस, उर्सला अस्पताल।