...तो यह एक तकनीक बदल देगी टेनरियों की तकदीर, नहीं होगा चमड़ा उद्योग का पलायन Kanpur News
केंद्रीय चर्म अनुसंधान केंद्र ने वाटरलेस क्रोम टैनिंग विधि तैयार की है जिसका प्रस्तुतिकरण एमएसएमई के उद्यम समागम में किया जाएगा।
कानपुर, जेएनएन। शहर का चमड़ा उद्योग अगर संकट में है तो उसकी सबसे बड़ी वजह टेनरियों से निकलने वाला प्रदूषित पानी है। इसकी वजह से सरकार ने टेनरियों को बंद करा दिया है। सो कानपुर की औद्योगिक पहचान ढलान पर है और उद्यमी भी पलायन की तैयारी करने लगे हैं। लेकिन, अब केंद्रीय चर्म अनुसंधान केंद्र (सीएलआरआइ) की जलरहित क्रोम शोधन तकनीक इस उद्योग की तकदीर बदल सकती है। इस तकनीक से न केवल दूषित पानी की समस्या से छुटकारा मिलेगा बल्कि उद्यमियों को लाभ भी अधिक होगा।
बड़े पैमाने पर निर्यात होता है चमड़ा
कानपुर में चर्म उत्पाद बनाने वाले उद्योग टेनरियों पर आधारित हैं, जहां से उन्हें फिनिश लेदर मिलता है। इससे वे अपने उत्पाद तैयार करते हैं। बड़े पैमाने पर यह फिनिश लेदर विदेशों में निर्यात भी होता है। टेनरियों में कच्चे चमड़े को शोधित करने के लिए बड़े पैमाने पर पानी और केमिकल का इस्तेमाल किया जाता है। इसमें क्रोमियम की अच्छी खासी मात्रा होती है, जो पानी को सबसे अधिक प्रदूषित करती है।
चमड़े की टैनिंग में नहीं होगी पानी की जरूरत
सीएलआरआइ के कानपुर स्थित रीजनल सेंटर फॉर एक्सटेंशन एंड डेवलपमेंट के वरिष्ठ तकनीकी अधिकारी यूके शर्मा ने बताया कि यह तकनीक बेहद कारगर है। इसमें चमड़े की टैनिंग के दौरान पानी का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं होता है इसलिए टेनिंग के लिए डाला जाने वाला जो क्रोम 40 फीसद पानी में बह जाता है। वह बर्बाद नहीं होता है। इसका सीधा आर्थिक फायदा उद्यमी को होगा। इसके अलावा इस प्रक्रिया में काफी कम समय लगता है, जिससे उत्पादकता भी बढ़ती है और लागत कम होती है।
नहीं करना पड़ता कोई ढांचागत इंतजाम
इस तकनीक की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसके लिए उद्यमी को कोई ढांचागत इंतजाम नहीं करना पड़ता। ऐसे में उनका एक भी पैसा इस पर खर्च नहीं होता। जिन ड्रमों में पानी से टैनिंग होती है, उसी में बिना पानी के भी टैनिंग होगी। बस इसके लिए सीएलआरआइ की इस पेटेंट विधि का इस्तेमाल करने के लिए ढाई लाख रुपये की लाइसेंस फीस जमा करनी पड़ती है। इसमें भी सरकार के आग्रह पर सीएलआरआइ ने छोटे उद्यमियों से एक लाख रुपये ही लाइसेंस फीस लेने का निर्णय लिया है।
लाइसेंस फीस का खर्च भी उठा सकती है सरकार
जिला उद्योग एवं उद्यम प्रोत्साहन केंद्र के संयुक्त आयुक्त सर्वेश्वर शुक्ला ने बताया कि इस तकनीक का प्रस्तुतिकरण उद्यम समागम में कराया जाएगा। यदि इस पर सहमति बनती है तो छोटे उद्यमियों की लाइसेंस फीस में छूट या पूरा खर्च उठाने का प्रस्ताव सरकार को भेजा जाएगा।