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लेते रहे एकेडमिक ग्रेड पे का लाभ, अब 62 शोध सहायकों से होगी करोड़ों की रिकवरी

उच्च न्यायालय का आदेश आने के बाद सीएसए कृषि विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्रवाई शुरू की है।

By AbhishekEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 05:22 PM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 05:22 PM (IST)
लेते रहे एकेडमिक ग्रेड पे का लाभ, अब 62 शोध सहायकों से होगी करोड़ों की रिकवरी
लेते रहे एकेडमिक ग्रेड पे का लाभ, अब 62 शोध सहायकों से होगी करोड़ों की रिकवरी

कानपुर (जागरण संवाददाता)। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय (सीएसए) के 62 शोध सहायकों से करोड़ों रुपये की रिकवरी होगी। उच्च न्यायालय के आदेश पर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए विभागाध्यक्षों को आदेश जारी कर दिए हैं। शोध सहायक के रूप में कार्यरत होने के बाद भी यह 'एकेडमिक ग्रेड पेÓ का लाभ प्राप्त कर रहे थे। न्यायालय के आदेश के बाद सोमवार को इसे अवैध करार दे दिया गया।

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ये था मामला

सीएसए में वर्ष 1987 से शोध सहायकों के पदों पर की गई नियुक्तियों को लेकर घमासान मचा हुआ है। अपनी नियुक्तियों को वैध करार देते हुए शोध सहायकों ने सहायक प्रोफेसर के वेतन की मांग की थी। उन्हें वेतन तो दिया गया लेकिन पदनाम नहीं मिला। दूसरी ओर सेवानिवृत्त शिक्षकों का आरोप है कि उनकी नियुक्ति चयन समिति के बिना हुई है इसलिए उन्हें पदनाम नहीं मिलना चाहिए। जनहित याचिका भी दायर कर दी। उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय प्रशासन को कार्रवाई के आदेश दिए। स्थानीय निधि लेखा विभाग ने नियुक्ति को अवैध मानते हुए कार्रवाई की है। विभाग की पूर्व रिपोर्ट में हवाला दिया गया है कि नियुक्ति के दौरान न तो विज्ञापन जारी किया गया और न ही नियमों का पालन हुआ।

सहायक प्राध्यापक के वेतनमान के साथ ग्रेड पे भी लिया

सहायक प्राध्यापक के वेतनमान के अलावा शोध सहायकों ने सात हजार से नौ हजार रुपये एकेडमिक ग्रेड पे भी प्राप्त किया। जबकि असिस्टेंट प्रोफेसर को नियमानुसार नियुक्ति के बाद ही ग्रेड पे दिया जाता है। अब शोध सहायकों से इसी धनराशि की वसूली होगी। इसके अंतर्गत प्रत्येक से करीब 12 लाख से 15 लाख रुपये की वसूली की जानी है। हालांकि अभी किस पर कितनी वसूली बनती है यह स्पष्ट नहीं है क्योंकि शुरुआती दौर में नियुक्त शोध सहायक सेवानिवृत्त हो चुके हैं। वर्तमान में कार्यरत शोध सहायक फिलहाल सहायक प्राध्यापक के वेतनमान पर कार्य कर रहे हैं।

इनका कहना है

'ऑडिट में मामला सामने आया था। न्यायालय के आदेश पर कार्रवाई की जा रही है। किसी को भी पदनाम नहीं दिया गया है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के दिशा निर्देश का पालन किया जा रहा है। नियमानुसार कार्रवाई के तहत जो रिकवरी होगी वह वसूल की जाएगी।Ó - प्रो. सुशील सोलोमन, कुलपति सीएसए


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