अब खुद व परिवार का सस्ता इलाज करा सकेंगे पुलिसकर्मी, शहर के 16 अस्पतालों से हुआ करार Kanpur News
अपने हेल्थ कार्ड के जरिये ये सुविधा पा सकेंगे पुलिसकर्मी डीजीपी के आदेश पर शुरू हुई तैयारी।
कानपुर, जेएनएन। अब पुलिस कर्मियों को भी सस्ता इलाज मिलेगा, ठीक केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) की दर पर। पुलिस कर्मी निजी अस्पतालों में कम दरों पर अपना और परिवार का बेहतर इलाज करा सकेंगे। डीजीपी के आदेश पर पुलिस महकमे में तैयारी शुरू हो गई है। एसएसपी अनंत देव ने शहर के 16 अस्पतालों से अनुबंध किया गया है। झांसी में भी अनुबंध की प्रक्रिया चल रही है। जहां पुलिसकर्मी अपने हेल्थ कार्ड के जरिए ही यह सुविधा पा सकेंगे। कन्नौज हो या कानपुर देहात, उन्नाव, उरई, हमीरपुर आदि सभी जिलों में भी यह सुविधा होगी।
पुलिसकर्मियों को सरकारी या निजी अस्पतालों में इलाज कराने के बाद शासन से चिकित्सा प्रतिपूर्ति पाने का प्रावधान है। कई बार निजी अस्पताल में काफी ज्यादा बिल आने पर भी शासन की ओर से मान्य दरों के मुताबिक ही कम धनराशि बतौर चिकित्सा प्रतिपूर्ति मंजूर की जाती थी। पुलिसकर्मी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण कई बार तो निजी अस्पतालों का रुख ही नहीं कर पाते थे। इस स्थिति को देखते हुए पिछले दिनों डीजीपी ने प्रदेश भर के 130 निजी अस्पतालों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक की थी।
अस्पतालों ने पुलिसकर्मियों व परिजन के इलाज में सीजीएचएस की दर से स्वास्थ्य सुविधा देने की सहमति जताई थी। तब 15 जिलों के कप्तानों को पत्र भेजकर करार करने के निर्देश दिए गए थे। गुरुवार को शहर में 16 अस्पतालों से नोडल अधिकारी एसपी ग्र्रामीण प्रद्युम्न सिंह ने करार किया। एसपी के मुताबिक निजी अस्पतालों में सीजीएचएस के तहत इलाज होने से ज्यादा से ज्यादा 30 से 40 फीसद खर्च में इलाज हो सकेगा। इससे पुलिसकर्मियों व उनके परिजन को काफी मदद मिलेगी।
इन अस्पतालों में मिलेगी सुविधा
रीजेंसी हेल्थ केयर, मधुराज अस्पताल, डॉ. जवाहरलाल रोहतगी अस्पताल, फैमिली हॉस्पिटल, आस्था हेल्थ केयर, एसआइएस एंड रिसर्च सेंटर ,प्रखर हॉस्पिटल प्रा. लि., गुरु तेगबहादुर हॉस्पिटल, लाइफ ट्रॉन हॉस्पिटल, उत्कर्ष हॉस्पिटल एंड मैटरनिटी होम, कृष्णा सुपर मल्टी स्पेशियलटी हॉस्पिटल, न्यू लीलामणि हॉस्पिटल, मंगला मल्टीस्पेशियलटी हॉस्पिटल, कबीर हॉस्पिटल एंड धनवंतरी सुपर स्पेशियलटी हॉस्पिटल, सेंट कैथरीन हॉस्पिटल, चांदनी हॉस्पिटल
अभी ये है व्यवस्था
अभी तक 50 हजार रुपये तक के इलाज पर मुख्य चिकित्साधिकारी से सत्यापन कराकर जिला स्तर पर ही चिकित्सा प्रतिपूर्ति प्रदान की जाती है। इससे ज्यादा धनराशि के इलाज पर पुलिस मुख्यालय को रिपोर्ट भेजी जाती है। वहां से प्रतिपूर्ति तय मानक के अनुसार दिए जाने का प्रावधान है। यह मानक प्रदेश सरकार ने पीजीआइ में मान्य शुल्क के अनुसार निर्धारित किया है।