विश्व दाल दिवस : अब दाल का दूध पिएं और खाएं मैगी, पिज्जा व ढोकला
बिजनेस में उतरा आइआइपीआर, बना रहा दाल के माइक्रोनी, मैगी व चिप्स भी बनाए जा रहे।
By Edited By: Published: Mon, 11 Feb 2019 01:52 AM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2019 12:38 PM (IST)
कानपुर,जेएनएन। क्या आपने कभी सोचा है कि दाल से भी दूध बन सकता है? लेकिन यह सच है। भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान (आइआइपीआर) मूंग की दाल से दूध बनाएगा। इसकी प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। दाल की फूड प्रोसेसिंग करके संस्थान ने बिस्कुट, ढोकला व ब्रेड पिज्जा बना लिया है।
'विश्व दलहन दिवस' पर मूंग, मसूर व अरहर की दाल से बनाए गए स्वादिष्ट बिस्कुट की लांचिंग की गई। निदेशक प्रो. एनपी सिंह ने बताया कि दाल की बंपर पैदावार के बाद उसे संरक्षित रखने का संकट है। इस संकट को दूर करने के साथ किसानों की आय दोगुनी करने के लिए इसके उत्पाद बनाकर बाजार में बेचे जाने की तैयारी है। बिस्कुट, कुकीज व ढोकला के बाद माइक्रोनी, मैगी व चिप्स को बाजार में उतारने की योजना है। जबकि दाल से दूध निकालने के लिए दहलन वैज्ञानिकों ने शोध प्रारंभ कर दिया है।
प्रो. सिंह ने बताया कि जब दाल नमी की अवस्था में होती है तब उससे दूध बनाया जा सकता है। उम्मीद है कि साल भर में दाल का दूध बाजार में उतारा जा सकता है। मधुमेह के रोगी खा सकते हैं दाल का बिस्कुट : दाल के छिलकों व उसके ऊपर की पतली परत से आइआइपीआर ने ऐसे बिस्कुट तैयार किए हैं जिनमें शक्कर की मात्रा न के बराबर व प्रोटीन की मात्रा अधिक है।
खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत दाल का इस्तेमाल करते हुए संस्थान ने जो बिस्कुट व ढोकला बनाए हैं उसे मधुमेह रोगी खा सकते हैं। संस्थान में साल भर से खाद्य प्रसंस्करण पर काम किया जा रहा है। अब ब्रह्मावर्त के नाम से आइआइपीआर अपने उत्पाद आम आदमी तक पहुंचाएगा।
मूंग दाल की जानकारी एप पर
विश्व दलहन दिवस पर आइआइपीआर ने किसानों से लेकर उपभोक्ताओं के लिए मूंग एडवाइजर एप लांच कर दिया। इस एप में मूंग की दाल की खेती से लेकर उसके बीजों की गुणवत्ता, उन्नतशील बीज की पहचान व बनने वाले उत्पादों की जानकारी शामिल है। मूंग की दाल से कौन-कौन से घरेलू उत्पाद बनाए जा सकते हैं इसकी जानकारी भी एप से प्राप्त की जा सकती है।
'विश्व दलहन दिवस' पर मूंग, मसूर व अरहर की दाल से बनाए गए स्वादिष्ट बिस्कुट की लांचिंग की गई। निदेशक प्रो. एनपी सिंह ने बताया कि दाल की बंपर पैदावार के बाद उसे संरक्षित रखने का संकट है। इस संकट को दूर करने के साथ किसानों की आय दोगुनी करने के लिए इसके उत्पाद बनाकर बाजार में बेचे जाने की तैयारी है। बिस्कुट, कुकीज व ढोकला के बाद माइक्रोनी, मैगी व चिप्स को बाजार में उतारने की योजना है। जबकि दाल से दूध निकालने के लिए दहलन वैज्ञानिकों ने शोध प्रारंभ कर दिया है।
प्रो. सिंह ने बताया कि जब दाल नमी की अवस्था में होती है तब उससे दूध बनाया जा सकता है। उम्मीद है कि साल भर में दाल का दूध बाजार में उतारा जा सकता है। मधुमेह के रोगी खा सकते हैं दाल का बिस्कुट : दाल के छिलकों व उसके ऊपर की पतली परत से आइआइपीआर ने ऐसे बिस्कुट तैयार किए हैं जिनमें शक्कर की मात्रा न के बराबर व प्रोटीन की मात्रा अधिक है।
खाद्य प्रसंस्करण के अंतर्गत दाल का इस्तेमाल करते हुए संस्थान ने जो बिस्कुट व ढोकला बनाए हैं उसे मधुमेह रोगी खा सकते हैं। संस्थान में साल भर से खाद्य प्रसंस्करण पर काम किया जा रहा है। अब ब्रह्मावर्त के नाम से आइआइपीआर अपने उत्पाद आम आदमी तक पहुंचाएगा।
मूंग दाल की जानकारी एप पर
विश्व दलहन दिवस पर आइआइपीआर ने किसानों से लेकर उपभोक्ताओं के लिए मूंग एडवाइजर एप लांच कर दिया। इस एप में मूंग की दाल की खेती से लेकर उसके बीजों की गुणवत्ता, उन्नतशील बीज की पहचान व बनने वाले उत्पादों की जानकारी शामिल है। मूंग की दाल से कौन-कौन से घरेलू उत्पाद बनाए जा सकते हैं इसकी जानकारी भी एप से प्राप्त की जा सकती है।
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