अब कैरियर की इबारत भी लिखेंगीं मस्जिदें, शिक्षा और स्वास्थ्य की भी मिलेगी जानकारी
अब मिल्लत को बताया जाएगा कि अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएं, कहां पढ़ाएं, कहां-कितनी सीट हैं, कहीं नौकरी की संभावनाएं हैं।
कानपुर [जमीर सिद्दीकी]। मस्जिद, खुदा की ये इबादतगाह अब केवल नमाज के लिए ही नहीं जानी जाएंगीं, बल्कि मिल्लत के युवाओं के लिए कॅरियर की इबारत भी लिखेंगी। यहां के सूचना बोर्ड पर जुमा की नमाज के वक्त मिले चंदे की रकम ही नहीं लिखी होगी बल्कि शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से जुड़े मौजूं मसलों पर नई जानकारी भी होगी।
मस्जिदों में लगे बोर्ड पर अभी तक केवल पिछले जुमे की नमाज में मिले चंदे की रकम ही लिखी जाती रही है, मगर अब मिल्लत को बताया जाएगा कि अपने बच्चों को कैसे पढ़ाएं, कहां पढ़ाएं, कहां-कितनी सीट हैं, कहीं नौकरी की संभावनाएं हैं। यह पहल बरेलवी मसलक से जुड़ी खानकाह माहरारा शरीफ के सच्जादानशीन सैयद नजीब हैदर मियां ने की है। बच्मे कासिमी बरकाती के नाम से यह अभियान उत्तर प्रदेश के कानपुर से शुरू होगा। इसे पहले चरण में पूरे प्रदेश और दूसरे चरण में पूरे देश में लागू किया जाएगा।
इसके लिए शहरकाजी मौलाना आलम रजा खां नूरी, मुफ्ती हनीफ बरकाती, कारी कासिम हबीबी, मास्टर मोहम्मद शाहिद, लईक अहमद बरकाती, अतीक अहमद बरकाती एवं इनायत बरकाती की परामर्शदाता टीम बना दी गई है। बोर्ड पर कब क्या लिखना है, टीम निर्णय लेगी। ऐसी ही टीम प्रदेश के सभी जिलों में बनाने के लिए परामर्शदाता टीम बुद्धिजीवी, डॉक्टर, इंजीनियर, शिक्षक के साथ अधिवेशन करेगी।
उर्स के लिए चलती है स्पेशल ट्रेन
माहरारा शरीफ कासगंज जिले में बरेलवी मसलक के बरकाती सिलसिले की खानकाह है। विश्वभर में इनके लाखों समर्थक हैं। अंदाजा इसी से लगा सकते हैं, खानकाह शरीफ पर लगने वाले उर्स के लिए बाकायदा स्पेशल ट्रेन चलाई जाती है। कानपुर में ही सवा लाख से अधिक अनुयायी, करीब दो सौ से अधिक मस्जिदों के पेश इमाम, सौ से अधिक मदरसों के शिक्षक और 15 हजार से अधिक उलमा, मुफ्ती, कारी हजरात बरकाती सिलसिले के हैं और माहरारा शरीफ के अनुयायी हैं।
ये मसले भी लिखे जाएंगे
- कहां किस ब्लड ग्र्रुप का रक्त मौजूद, उनसे जुड़े नंबर
- किस रोग के लिए कौन सा देश अच्छा
- इंजीनियरिंग, मेडिकल व प्रोफेशनल कोर्स कैसे करें, कैसे प्रवेश लें
- दुनियावी तालीम संग दीनी तालीम कैसे हासिल करें।
जो कौम शिक्षा और नई जानकारियों से दूर रहती है, वह कभी तरक्की नहीं करती। मस्जिदों के बोर्ड पर मिल्लत को बताया जाएगा कि अपने बच्चों को क्या, कैसे और कहां पढ़ाएं। कैसे आवेदन करें, कहां आवेदन करें, यह जानना जरूरी है। -सैयद नजीब हैदर मियां, सज्जादानशीन, माहरारा शरीफ
हिंदी में भी जानिए शरीयत की खासियत
शरीयत की खासियत अब आम लोग भी जान और समझ पाएंगे। शरीयत से देश की जनता को रूबरू कराने के लिए आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड अब हिंदी समेत सौ भाषाओं में पुस्तक प्रकाशित करेगा। इस पुस्तक का नाम तफहीम शरीयत (शरीयत से वाकिफ कराना) है। पुस्तक को एक हजार से ज्यादा इस्लामी जानकार मंथन कर तैयार करेंगे। अभी तक बोर्ड अंग्रेजी और उर्दू में ही पुस्तक प्रकाशित कराता था।
अब तक दो भाषाओं में प्रकाशित होने वाली इस पुस्तक में बताया जाता था कि इस्लाम का पैगाम क्या है, उसकी समाज के प्रति क्या शिक्षाएं हैं, मुसलमानों की समाज के प्रति क्या जिम्मेदारियां हैं लेकिन अंग्रेजी और उर्दू में होने की वजह से यह आम जनमानस से दूर ही थी। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की 15 जुलाई को लखनऊ स्थित नदवा में हुई बैठक में तय किया गया कि इसे आम लोगों से जोड़ा जाएगा।
इसके तहत हिंदी, पंजाबी, तमिल, मराठी, गुजराती, तेलगू आदि सौ भाषाओं में पुस्तक का प्रकाशन होगा ताकि सभी भाषा क्षेत्रों के लोग इससे जुड़ें और शरीयत के बारे में जानें। बोर्ड के सदस्य मोहम्मद सुलेमान ने बताया कि हर भाषा में तफहीम शरीयत पुस्तक प्रकाशित कर शरीयत या इस्लाम की विशेषता की जानकारी लोगों को दी जाएगी।
महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में महिलाओं की भागीदारी बढ़ेगी। इस बारे में बोर्ड की महिला विंग की प्रमुख प्रोफेसर आसमा जहरा को संयोजक बनाया गया है जो देश के सभी जिलों से तेज तर्रार महिलाओं, युवतियों को बोर्ड से जोड़ेंगी।