दौड़भाग भरी जिंदगी में प्राकृतिक चिकित्सा से निरोगी रहने की बढ़ी चाह
अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन में उमड़ी भीड़, लाइन में लग आयुर्वेदाचार्यो से लिया स्वास्थ्य परामर्श।
कानपुर, जागरण संवाददाता। एलोपैथिक दवाओं के बढ़ते साइड इफेक्ट (दुष्प्रभावों) से लोगों का रुझान प्राकृतिक चिकित्सा की ओर होने लगा है। वे न सिर्फ भागमभाग भरी जिंदगी में स्वस्थ रहने के लिए योग, व्यायाम व आत्मचिंतन कर रहे हैं बल्कि होम्योपैथिक, आयुर्वेदिक और यूनानी चिकित्सा पद्धति की ओर अग्रसर हैं। शनिवार को मोतीझील के मैदान में आयोजित अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन में भारी भीड़ उमड़ी। अपने आप में पहली तरह के शिविर में शहरवासियों ने लाइन में लगकर आयुर्वेदाचार्यो से स्वास्थ्य परामर्श लिया। विभिन्न दवा कंपनियों के स्टालों का मुआयना किया। वहां से जरूरत की दवाएं और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने वाली औषधियां खरीदीं। आयुष मंत्रालय के शोध संस्थानों के स्टाल पर बेहतर सेहत के टिप्स लिए।
नाड़ी परामर्श ओपीडी न लगने से हुए मायूस
आधे से अधिक लोग नामी आयुर्वेदाचार्यो से नाड़ी चिकित्सा पद्धति द्वारा रोगों की जानकारी लेने पहुंचे थे, लेकिन शनिवार को उसकी ओपीडी नहीं लगी। इसके चलते रोगियों को मायूसी हुई।
इस तरह के शिविर और लगाए जाएं
गठिया, कमर दर्द की समस्या पर आयुर्वेदिक ओपीडी में दिखाने आए थे। काफी बढि़या लगा, डॉक्टरों ने कई सलाह दी।
- लता मिश्रा, शिवली कानपुर देहात
चिकित्सकों ने विस्तार से जानकारी दी। घरेलू वस्तुओं से कैसे सेहत बेहतर की जा सकती है, इसके बारे में बताया।
- अमिता त्रिवेदी, सुजातगंज
घुटने और स्पाइन में तकलीफ है। हृदय रोग भी है। खासतौर पर नाड़ी विशेषज्ञ से परामर्श लेने आए थे।
- राजेंद्र वालिया, लाजपत नगर
अपने आप में नए तरह का शिविर लगा है। इसमें कुछ तब्दीली करके और बेहतर बनाया जा सकता है।
- कांती स्वरूप, किदवई नगर