कैंसर की सही पहचान करेगी लिक्विड बेस जांच, मरीज के इलाज में होगी आसानी
कानपुर के जेके कैंसर संस्थान में लिक्विड बेस साइटोलॉजी मशीन आएगी अभी जांच के लिए सैंपल मुंबई दिल्ली और लखनऊ भेजे जाते हैं।
By AbhishekEdited By: Published: Tue, 14 May 2019 01:04 PM (IST)Updated: Tue, 14 May 2019 01:04 PM (IST)
कानपुर, [ऋषि दीक्षित]। अब शरीर के द्रव्य से मिलने वाली कोशिकाओं से कैंसर की सटीक और जल्द पहचान होगी। अभी मरीज का सैंपल जांच के लिए बाहर भेजने के बाद रिपोर्ट आने में 20-25 दिन लगते हैं और इस अवधि में कैंसर की स्टेज बदल जाती है। लेकिन, अब प्रदेश में पहली बार कानपुर में लिक्विड बेस कैंसर जांच की सुविधा मिलेगी। इससे मरीज का इलाज आसान होगा और कैंसर भी शरीर में फैल नहीं पाएगा।
अभी बायोप्सी और टिश्यू बेस होती है जांच
प्रदेश में कैंसर जांच के लिए अभी बायोप्सी और टिश्यू बेस जांच ही होती है। यह तकनीकी संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में है लेकिन सटीक जांच के लिए प्रदेश से अधिक द्रव्य नमूने मुंबई और दिल्ली के उच्च संस्थान भेजे जाते हैं। इसकी रिपोर्ट आने में 20-25 दिन लगते हैं। प्रदेश के पहले कैंसर अस्पताल राजकीय जेके कैंसर संस्थान में लिक्विड बेस साइटोलॉजी मशीन मंगाई जा रही है। इस मशीन के आने के बाद शरीर के द्रव्य से मिलने वाली कोशिकाओं के जरिये जांच संभव होगी और जल्द ही रिपोर्ट मिलेगी। मशीन के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है, जिसकी सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है।
शरीर के इन द्रव्यों से होगी जांच
पेट का पानी, पेशाब, फेफड़े का पानी, साइनोवियल फ्लूड (हड्डी के जोड़ों का पानी), रीढ़ की हड्डी का पानी, वर्जाइनल डिस्चार्ज, स्लाइवा (मुंह की लार), स्पुटम (बलगम), स्तन का पानी।
इन कैंसर का संभव होगा इलाज
बच्चेदानी मुख कैंसर, बच्चेदानी का मुंह का कैंसर, खाने की नली का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, किडनी का कैंसर, मूत्राशय का कैंसर, स्तन कैंसर, हड्डी तथा जोड़ों के कैंसर, ब्रेन ट्यूमर तथा ब्रेन कैंसर।
कैंसर रोगियों का इलाज होगा आसान
देखने में आया है कि अक्सर रिपोर्ट आने में देरी के चलते मरीजों के कैंसर की स्टेज बदल जाती है। इससे मरीजों के इलाज में परेशानी होती है और कई बार मरीजों की जान तक पर बन आती है। कैंसर संस्थान में मशीन मंगाकर यहीं जांच सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। जेके कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो. एमपी मिश्रा ने बताया कि मशीन के लिए महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) के माध्यम से शासन को प्रस्ताव भेजा है। वह कहते हैं कि संस्थान में शरीर के द्रव्य से कैंसर की जांच की सुविधा नहीं है। इसलिए मरीजों के नमूने लेकर जांच के लिए मुंबई, दिल्ली तथा लखनऊ के उच्च चिकित्सा संस्थानों में भेजे जाते है। इसकी जांच रिपोर्ट काफी विलंब से आती है और मरीजों का इलाज प्रभावित होता है। संस्थान में ही जांच की सुविधा से इलाज में सहूलियत होगी।
अभी बायोप्सी और टिश्यू बेस होती है जांच
प्रदेश में कैंसर जांच के लिए अभी बायोप्सी और टिश्यू बेस जांच ही होती है। यह तकनीकी संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआइ) में है लेकिन सटीक जांच के लिए प्रदेश से अधिक द्रव्य नमूने मुंबई और दिल्ली के उच्च संस्थान भेजे जाते हैं। इसकी रिपोर्ट आने में 20-25 दिन लगते हैं। प्रदेश के पहले कैंसर अस्पताल राजकीय जेके कैंसर संस्थान में लिक्विड बेस साइटोलॉजी मशीन मंगाई जा रही है। इस मशीन के आने के बाद शरीर के द्रव्य से मिलने वाली कोशिकाओं के जरिये जांच संभव होगी और जल्द ही रिपोर्ट मिलेगी। मशीन के लिए प्रस्ताव शासन को भेज दिया गया है, जिसकी सैद्धांतिक सहमति मिल चुकी है।
शरीर के इन द्रव्यों से होगी जांच
पेट का पानी, पेशाब, फेफड़े का पानी, साइनोवियल फ्लूड (हड्डी के जोड़ों का पानी), रीढ़ की हड्डी का पानी, वर्जाइनल डिस्चार्ज, स्लाइवा (मुंह की लार), स्पुटम (बलगम), स्तन का पानी।
इन कैंसर का संभव होगा इलाज
बच्चेदानी मुख कैंसर, बच्चेदानी का मुंह का कैंसर, खाने की नली का कैंसर, फेफड़े का कैंसर, किडनी का कैंसर, मूत्राशय का कैंसर, स्तन कैंसर, हड्डी तथा जोड़ों के कैंसर, ब्रेन ट्यूमर तथा ब्रेन कैंसर।
कैंसर रोगियों का इलाज होगा आसान
देखने में आया है कि अक्सर रिपोर्ट आने में देरी के चलते मरीजों के कैंसर की स्टेज बदल जाती है। इससे मरीजों के इलाज में परेशानी होती है और कई बार मरीजों की जान तक पर बन आती है। कैंसर संस्थान में मशीन मंगाकर यहीं जांच सुविधा उपलब्ध कराने का निर्णय लिया गया है। जेके कैंसर संस्थान के निदेशक प्रो. एमपी मिश्रा ने बताया कि मशीन के लिए महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा (डीजीएमई) के माध्यम से शासन को प्रस्ताव भेजा है। वह कहते हैं कि संस्थान में शरीर के द्रव्य से कैंसर की जांच की सुविधा नहीं है। इसलिए मरीजों के नमूने लेकर जांच के लिए मुंबई, दिल्ली तथा लखनऊ के उच्च चिकित्सा संस्थानों में भेजे जाते है। इसकी जांच रिपोर्ट काफी विलंब से आती है और मरीजों का इलाज प्रभावित होता है। संस्थान में ही जांच की सुविधा से इलाज में सहूलियत होगी।
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