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दो साल शोध के बाद तैयार हुआ फॉर्मूला, अब इत्र लगाए बिना ही खुशबू से महकेंगे कपड़े

सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र ने दो साल शोध के बाद तैयार किया फार्मूला होजरी इकाई में सफल परीक्षण के बाद आम आदमी के लिए होगा तैयार।

By AbhishekEdited By: Published: Sat, 14 Mar 2020 02:51 PM (IST)Updated: Sat, 14 Mar 2020 03:27 PM (IST)
दो साल शोध के बाद तैयार हुआ फॉर्मूला, अब इत्र लगाए बिना ही खुशबू से महकेंगे कपड़े
दो साल शोध के बाद तैयार हुआ फॉर्मूला, अब इत्र लगाए बिना ही खुशबू से महकेंगे कपड़े

कानपुर, [जागरण स्पेशल]। आज के दौर में लोग खासकर युवा घर से निकलने से पहले अपने कपड़ों पर इत्र डालना नहीं भूलते। गर्मी के दिनों में तो इसकी अधिक जरूरत महसूस होती है, लेकिन आने वाले समय में इत्र या सेंट का प्रयोग किए बिना ही आपके कपड़े गुलाब, खस, चमेली व संदल से महकेंगे। अरोमा केमिकल व प्राकृतिक सुगंधित तेलों के मिश्रण से यह फार्मूला तैयार किया है सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र ने। इस मिश्रण का उपयोग कपड़ा बनाते समय किया जाएगा।

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धुलाई के बाद भी बरकरार रहती है महक

संस्थान ने ऐसे कपड़े बनाए जाने के लिए दो तरीके ईजाद किए हैं। पहला, धागा बनाते समय उसे इस मिश्रण से गुजारा जाता है। दूसरा, कपड़ा बनाने की प्रक्रिया में इस मिश्रण का नैनो कैप्सूल डाला जा सकता है। शहर की एक होजरी इकाई में सफल परीक्षण के बाद अब इसे बढ़ावा दिए जाने की दिशा में काम किया जा रहा है। केंद्र के सहायक निदेशक डॉ. भक्ति विजय शुक्ला ने बताया, परीक्षण में यह बात सामने आई है कि धुलाई के बाद भी कपड़े की महक दुरुस्त रहती है। अब इसकी क्षमता का ट्रायल किया जा रहा है। देखा जा रहा है कि कितनी धुलाई तक कपड़े की महक बरकरार रहती है।

त्वचा के लिए आरामदायक होंगे कपड़े

नैनो टेक्सटाइल टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल से बने यह कपड़े सुगंध बिखेरने के साथ त्वचा के लिए भी आरामदायक होंगे। केमिकल के बजाय इत्र का प्रयोग कर कपड़ा तैयार किया गया है। टेक्सटाइल इंडस्ट्री में खुशबू बिखेरने वाला माइक्रो कैप्सूल लगाया जाएगा।

वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान ने तैयार किया ड्राफ्ट

उत्तर प्रदेश वस्त्र प्रौद्योगिकी संस्थान में बनी नवनिर्मित मेडिकल टेक्सटाइल लैब में सुगंधित कपड़ा बनाकर उसका परीक्षण होगा। संस्थान के निदेशक प्रो. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि लैब में ऐसे अत्याधुनिक उपकरण हैं जिसमें फैब्रिक पर इसका प्रयोग किया जा सकता है। केंद्र के साथ करार करने के लिए ड्राफ्ट तैयार कर लिया गया है। सुगंधित कपड़े बनाने में उनके इत्र का प्रयोग किया जाएगा। ऐसे कपड़ों की कीमत महज 20 फीसद तक अधिक हो सकती है। 


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