विवरण विहीन खड़े सीआइबी पर अब पुताई-लिखाई
भीतरगांव ब्लाक में मनरेगा की लूट में सभी शामिल थे इसलिए सीआइबी आपूर्ति का जिम्मा कंप्यूटर आपरेटर के समूह को सौंपा गया।
संवाद सहयोगी, घाटमपुर: मनरेगा (महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी योजना) से विकास कार्य प्रारंभ होते ही सीआइबी (सिटीजन इन्फॉर्मेशन बोर्ड) लगाने का उद्देश्य पारदर्शिता है। इससे फायदा यह कि गांववासी विवरण जान सकें और धांधली होने की दशा में ग्राम प्रधान और सचिव से लेकर मनरेगा से जुड़े आला अफसरों तक से सवाल-जवाब कर जानकारी प्राप्त कर सकें। भीतरगांव ब्लाक में मनरेगा की लूट में सभी शामिल थे, इसलिए सीआइबी आपूर्ति का जिम्मा कंप्यूटर आपरेटर के समूह को सौंपा गया। साइटों पर बगैर विवरण लिखे सीआइबी खड़े करा दिए और भुगतान करा जेबें भर लीं। मामला उजागर होने के बाद युद्धस्तर पर पुताई-लिखाई करा लूट छिपाने की कोशिश तेज हुई है।
भीतरगांव ब्लाक में मनरेगा में हुई लूट को दैनिक जागरण उजागर कर रहा है। सोमवार को खबर के साथ प्रकाशित विवरण विहीन गड़े बोर्ड की फोटो देख गतिविधियां तेज हुई। पेंटरों को लेकर दौड़े ग्राम प्रधानों, सचिवों व अन्य पंचायत कर्मियों ने मुरलीपुर बंबा के बड़े पुल में लगे सीआइबी को पुतवा कर विवरण लिखवाया। अनुमानित लागत, व्यय धनराशि, सृजित मानव दिवस आदि कई महत्वपूर्ण जानकारियों के कॉलम रिक्त छोड़ दिए गए है। गांव असधना स्थित प्राइमरी स्कूल से केल्लेश्वरी मंदिर तक खड़ंजा का बोर्ड विवरण विहीन पाया गया। गांव शूलपुर स्थित प्राइमरी विद्यालय के समीप लगे बोर्ड की पेंटर पुताई करता हुआ मिला। भीतरगांव विकासखंड की लूट उजागर होने का असर समीपवर्ती पतारा ब्लाक में भी नजर आया। पतारा ग्राम पंचायत के कानपुर रोड के टेनापुर मोड़ पर ठूंठ बन खड़े सीआइबी में भी दोपहर को ताजा पुताई नजर आई।
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इनसेट
मुख्य सचिव तक से हुई थी शिकायत
मनरेगा की सामने आ रही लूट से जिले के अफसर अनजान नही थे। बिधनू विकासखंड के गांव सपई के मजरा तीरथपुर निवासी दुर्गाशंकर बाजपेयी ने 13 जनवरी को शिकायती पत्र मुख्य सचिव को भेजकर धांधली और का आरोप लगाया था। मुख्य सचिव के निजी सचिव बीएम अवस्थी, ग्राम विकास सचिव के रवींद्र नायक से होती हुई शिकायत विकास भवन पहुंचकर ठंडे बस्ते में चली गई।