Move to Jagran APP

CBSE की पहल : अब स्कूलों में ऐसी होगी पढ़ाई कि नहीं आएगा किसी को गुस्सा

केंद्रीय विद्यालय संगठन के आयुक्त ने स्कूलों को निर्देश जारी किया है।

By AbhishekEdited By: Published: Mon, 13 Jan 2020 03:40 PM (IST)Updated: Mon, 13 Jan 2020 03:40 PM (IST)
CBSE की पहल : अब स्कूलों में ऐसी होगी पढ़ाई कि नहीं आएगा किसी को गुस्सा
CBSE की पहल : अब स्कूलों में ऐसी होगी पढ़ाई कि नहीं आएगा किसी को गुस्सा

कानपुर, [बृजेश दुबे]। शहर में बीते दो सालों में दसवीं कक्षा से नीचे के आधा दर्जन से अधिक छात्रों के खुदकशी या खुदकशी के प्रयास के मामले सामने आ चुके हैं। इसके पीछे का कारण, गुस्सा और तनाव। खुद को संयमित रख पाने की इच्छाशक्ति न होना, इसमें शिक्षक भी पीछे नहीं हैं। कुछ शिक्षकों पर छात्रों को बेरहमी से मारने के मुकदमे दर्ज हुए हैं तो कुछ ने तनाव में खुदकशी की है। ऐसी घटनाएं देखकर ही केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने दिसंबर माह में स्कूलों में 'क्रोध मुक्त क्षेत्र' बनाने की पहल की थी।

loksabha election banner

केंद्रीय विद्यालय संगठन ने बढ़ाया कदम

सीबीएसई की इस पहल को और मजबूत करने के लिए केंद्रीय विद्यालय संगठन ने एक कदम आगे बढ़ाया है। केंद्रीय विद्यालय कक्षाओं और पाठ्यक्रम का ऐसा संयोजन करेंगे, जिससे तन-मन और बुद्धि, तीनों को साधकर छात्र गुस्से पर काबू पा सकें। इसके लिए संगठन ने अपने सभी क्षेत्रीय कार्यालयों से फरवरी तक विस्तृत योजना मांगी है, ताकि अगले सत्र से इसे अमल में लाया जा सके। केंद्रीय विद्यालय संगठन के आयुक्त संतोष कुमार मल्ल के अनुसार पूरा विद्यालय परिसर क्रोध मुक्त होगा। खेलकूद, संगीत शिक्षा, योग-व्यायाम, प्रार्थना सभा जैसी बालचर गतिविधियां बढ़ाई जाएंगी। काउंसलर नियुक्त होंगे। छात्रों के साथ शिक्षक और कर्मचारियों के लिए ये गतिविधियां होंगी।

उदाहरण के तौर पर मामले

1-डेढ़ वर्ष पहले बर्रा के एक स्कूल के सातवीं के छात्र ने महज इसलिए खुदकशी कर ली, अधूरे होमवर्क पर शिक्षक ने डांट दिया था। 

2-एक वर्ष पूर्व कल्याणपुर स्थित स्कूल के छात्र ने डाई पी ली थी। कारण, मारपीट करने की शिकायत पर उसके अभिभावक बुलाए गए थे। 

क्रोध से नुकसान 

केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना के सेवानिवृत मुख्य परामर्शदाता डॉ. एलसी अग्रवाल कहते हैं कि बार-बार क्रोध करने से शरीर का तंत्रिका तंत्र और मेटाबॉलिज्म (पाचन प्रक्रिया) प्रभावित होता है। इससे मानसिक अवसाद, निराशा, उच्च रक्तचाप, मधुमेह, स्मृति भ्रम, हृदय रोग जैसी बीमारी होने की आशंका बढ़ जाती है। आंख और ब्रेन में हैमरेज हो सकता है।

ऐसी होगी बच्चों की दिनचर्या

  • संतुलित आहार और पर्याप्त नींद।
  • शारीरिक और मानसिक स्वच्छता।
  • दिनचर्या में शारीरिक श्रम, खेलकूद अनिवार्य।
  • सुबह एïवं शाम अनुलोम-विलोम प्राणायाम के साथ पांच मिनट ध्यान।
  • लचीलेपन के लिए नियमित योगासन।
  • रोजाना पर्याप्त जलग्रहण।
  • किसी से तुलना नहीं, खुद के उत्थान का संकल्प और कार्य।
  • घमंड छोड़कर विनम्रता और शिष्टाचार का पालन।
  • संयम, शांति और सद्भाव का प्रोत्साहन।

Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.