अब दो गज जमीन नहीं दोमंजिला कब्र में दफन होंगे ईसाई लोगों के शव Kanpur News
क्रिश्चियन सिमेट्री बोर्ड की बैठक में लिया गया फैसला जगह कम होने से शव दफनाने में आ रही समस्या।
कानपुर, जेएनएन। 'कितना बदनसीब है 'जफर', दफ्न के लिए, दो गज जमीं भी न मिली, कू-ए-यार में'। अंतिम मुगल बादशाह बहादुर शाह जफर ने यूं तो यह शेर वतन से दूर होने की अपनी बेबसी पर लिखा था, लेकिन ईसाई समाज अपने घर में ही इस बेबसी का शिकार है। दो कब्रिस्तान अवैध कब्जे में गुम हो चुके हैं और जो बचे हैं, उनके सिकुडऩे के कारण दो गज जमीन भी मयस्सर नहीं हो रही। इस परेशानी को दूर करने के लिए क्रिश्चियन सिमेट्री बोर्ड ने केरल की तर्ज पर बहुमंजिला कब्र वाले कब्रिस्तान बनाने की पहल की है। सिमेट्री बोर्ड ने गुरुवार को बैठक बुलाकर चर्चा की और यह निर्णय किया। केरल में जगह की कमी के कारण अब बहुमंजिला कब्रिस्तान बन रहे हैं। वहीं उत्तर प्रदेश के आगरा में भी एक परिवार एक कब्र की पहल की जा रही है।
सात में तीन कब्रिस्तान ही बचे
मसीही समाज की परंपरा के अनुसार ताबूत में रखकर शव दफन करने के बाद कब्र को पक्का किया जाता है। इससे कब्रिस्तान में जगह कम होती जाती है। आलम यह है कि कानपुर में एक लाख की आबादी वाले मसीही समाज के लिए केवल तीन कब्रिस्तान बचे हैं। सबसे बड़ा चार एकड़ का चुन्नीगंज स्थित सूबेदार का तलाब कब्रिस्तान में जमीन नहीं बची है। यहां ग्रामीण इलाकों से भी शव दफन होने के लिए आते हैं। कैंट स्थित लालकुर्ती और कानपुर दक्षिण के ढकनापुरवा कब्रिस्तान में भी यही हाल है। ऐसे में मसीही समाज के सामने शव दफन करने में समस्या आ रही है।
सौ साल पुरानी कब्र ही दायरे में
बोर्ड ने अभी चुन्नीगंज स्थित कब्रिस्तान को दो मंजिला बनाने का निर्णय किया है। अभी सौ साल पुरानी कब्र पर दूसरा तल बनाकर शव दफन किए जाएंगे। जरूरत पडऩे पर इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
दो कब्रिस्तान पर कब्जा
शहर में ईसाई समाज के सात कब्रिस्तान थे। सिविल लाइन्स स्थित कचहरी सिमेट्री, जहां वर्ष 1857 की अंग्रेज अफसरों की कब्रें हैं, संरक्षित होने के कारण इसमें कोई शव दफन नहीं होता। दलेलपुरवा और मीरपुर कब्रिस्तान कब्जे में गुम हो गए। कैंट में आल सोल्स ग्रेवयार्ड है। यहां भी शव दफन नहीं होता।
इनका ये है कहना
मसीही कब्रिस्तानों में जगह की कमी देखते हुए यह फैसला किया गया है। जरूरत पडऩे पर सौ साल पुरानी कब्र पर एक और तल बनाकर शव दफन किया जाएगा। ऐसी व्यवस्था केरल में है। सरकार से भी जगह की मांग की गई है।
-पादरी डायमंड यूसुफ, सचिव सिमेट्री बोर्ड