मौसम की तरह होगी वायु प्रदूषण की भविष्यवाणी, आइआइटी ने देश भर में लगाए पचास सेंसर
इंडो-यूएस साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम के तहत 60 मॉनीटरिंग सेंटर स्थापित किए जाएंगे।
कानपुर, जेएनएन। आने वाले समय में मौसम की तरह वायु प्रदूषण की भविष्यवाणी भी की जा सकेगी। वायु प्रदूषण मापने के लिए आइआइटी कानपुर ने देश भर में 50 सेंसर लगाए हैं। इंडो-यूएस साइंस एंड टेक्नोलॉजी फोरम के तहत संस्थान जल्द ही आधुनिक सेंसर से युक्त 60 ऐसे मॉनीटरिंग सेंटर स्थापित करने जा रहा है जो पीएम-2.5, पीएम-10 के साथ ओजोन व नाइट्रोजन ऑक्साइड का डाटा भी रिकार्ड करेंगे। साल भर में रिकार्ड किए गए डाटा का विश्लेषण कर प्रदूषण की भविष्यवाणी की जा सकेगी।
मशीन लर्निंग के अंतर्गत दिन में कई बार रिकार्ड किए गए डाटा की मदद से दूसरे दिन के प्रदूषण की स्थिति बताई जा सकेगी। इस प्रोजेक्ट के लिए पर्यावरणविद् व आइआइटी के सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी को प्रिंसिपल इंवेस्टीगेटर नियुक्त किया गया है। प्रोजेक्ट के तहत आइआइटी कानपुर में 25 सेंसर लगाए जाएंगे, जबकि 15 सेंसर आइआइटी मुंबई में लगेंगे। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2020 तक सभी सेंसर लगाए जाने के साथ उन्हें नेटवर्किंग से जोड़ दिया जाएगा।
प्रदूषण का डाटा किया जा रहा सुरक्षित
कानपुर के प्रदूषण का डाटा आइआइटी सुरक्षित कर रहा है। चुन्नीगंज, इंद्रानगर, रावतपुर गांव, नौबस्ता व जूही में सेंसर लगाए जा चुके हैं। ऑनलाइन मॉनीटरिंग भी की जा रही है। प्रो. त्रिपाठी ने बताया कि इस डाटा को (http://atmos.urbansciences.in) पर देखा जा सकता है।
मॉनीटरिंग सेंटर बढ़ाने की जरूरत
एल्युमिनाई एसोसिएशन व आइआइटी के संयुक्त तत्वावधान में वायु प्रदूषण पर राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हो रहा है। पर्सनल एयर क्वालिटी सिस्टम कंपनी के संस्थापक ए. वैद्यनाथन ने बताया कि देश में प्रदूषण मॉनीटरिंग सेंटर बढ़ाए जाने की जरूरत है जिससे उसके कारकों व अधिक प्रदूषित स्थानों को चिह्नित किया जा सके। बड़े शहरों में 25 से 30 मॉनीटरिंग सिस्टम की जरूरत है। डीन ऑफ रिसोर्सेज एंड एल्युमिनाई प्रो. बीवी फणी ने बताया कि कानपुर विश्व में सबसे प्रदूषित शहर है। यहां मॉनीटरिंग सेंटर बढ़ाए जाने की अधिक जरूरत है। वर्तमान में शहर में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का एक व उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पांच मॉनीटरिंग स्टेशन हैं।