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कानपुर ही नहीं, ट्रेनों की देरी में पूरा यूपी बदनाम

जागरण संवाददाता, कानपुर : ट्रेनों में सफर करते हैं तो यह कड़वा अनुभव जरूर होगा कि कभी पनकी पर ट्रे

By JagranEdited By: Published: Mon, 09 Jul 2018 01:20 AM (IST)Updated: Mon, 09 Jul 2018 01:20 AM (IST)
कानपुर ही नहीं, ट्रेनों की देरी में पूरा यूपी बदनाम
कानपुर ही नहीं, ट्रेनों की देरी में पूरा यूपी बदनाम

जागरण संवाददाता, कानपुर :

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ट्रेनों में सफर करते हैं तो यह कड़वा अनुभव जरूर होगा कि कभी पनकी पर ट्रेन घंटों खड़ी हो जाती है, कभी गंगापुल के आसपास। जाहिर है कि झल्लाते होंगे कि कानपुर में ही ऐसा क्या हो जाता है कि स्टेशन तक पहुंचते-पहुंचते ट्रेन को इतना वक्त लग जाता है। आपकी झल्लाहट तो वाजिब है, लेकिन तोहमत अकेले कानपुर को नहीं दें। यह सही है कि ट्रेनों के विलंबित संचालन के मामले में कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन देश के बड़े स्टेशनों में दूसरे स्थान पर है, लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि इस मामले में पूरा उत्तर प्रदेश और बिहार बदनाम है।

यह सर्वे एक प्रतिष्ठित संस्था ने किया गया है। संस्था ने वर्ष 2015 से लेकर वर्ष 2017 तक ट्रेनों के संचालन को लेकर एक रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें साफ-साफ नजर आ रहा है कि यूपी और बिहार दो ऐसे राज्य हैं, जहां ट्रेनों से सफर करना समय की बर्बादी है। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2017 में बिहार में प्रत्येक ट्रेन जहां औसतन 104 मिनट लेट चली, वहीं उप्र में यह आंकड़ा 95 मिनट रहा। जो आंकड़े हैं, उन्हें देखकर सहज अंदाजा लगाया जा सकता है कि दिल्ली-हावड़ा रूट पर ट्रेनें वक्त की पटरी से पूरी तरह उतर चुकी हैं। देरी से ट्रेनों के संचालन करने वाले बड़े स्टेशनों की सूची में इलाहाबाद पहले और कानपुर दूसरे स्थान पर है। सर्वे के मुताबिक, औसतन प्रत्येक ट्रेन इलाहाबाद में 117 मिनट तो कानपुर में 113 मिनट देरी से पहुंचती है। इसके बाद पटना 91 मिनट, गुवाहाटी 71 मिनट, भोपाल 60 मिनट, न्यू दिल्ली 54 मिनट है। इस सूची में चेन्नई, हावड़ा, छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल मुम्बई, अहमदाबाद, सिकंदराबाद, नागपुर, बेंगलुरु और भुवनेश्वर जैसे बड़े स्टेशन भी हैं।

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कानपुर में इसलिए लेट होती हैं ट्रेनें

कानपुर क्षेत्र में ट्रेन लेट होने के कई अहम कारण हैं। सेंट्रल स्टेशन के आंकड़ों के मुताबिक ट्रैक पर 210 की अपेक्षा इस समय 380 ट्रेनों का दबाव है। दिल्ली रूट पर पनकी से लेकर सेंट्रल स्टेशन तक 11 किमी की दूरी तय करने में ही अधिकांश ट्रेनों को एक घंटे से अधिक लग जाता है। इसी तरह लखनऊ रूट पर गंगापुल से मुरे कंपनी पुल तक तीन से चार स्थानों पर ट्रेनें रोकी जाती हैं। इलाहाबाद रूट पर भी आउटर पर गाड़ियां रोकी जाती हैं। ट्रैक पर दबाव एक बड़ा कारण है, लेकिन आरोप यह भी लगते हैं कि अवैध वेंडरों की वजह से आउटर पर गाड़ियां रोकी जाती हैं।

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इन योजनाओं पर टिकी निगाह

ट्रेनें आउटर पर न रुकें। ट्रैक का लोड कम हो, इसलिए तमाम कवायद चल रही हैं। डेडीकेटेड फ्रेट कॉरीडोर के निर्माण से मालगाड़ियों का लोड कम होगा। गोविंदपुरी को टर्मिनल के तौर पर विकसित करके इलाहाबाद जाने वाली राजधानी ट्रेनों को बिना सेंट्रल स्टेशन लाए बाहर-बाहर ही निकालने की योजना पर भी काम चल रहा है। भाऊपुर से जीएमसी तक और लखनऊ से कानपुर के बीच नया रेल ट्रैक बिछाने की योजना भी है। हालांकि यह योजनाएं कब तक परवान चढ़ेगी, इसका कोई वक्त तय नहीं है।

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इन राज्यों में देरी से चलतीं ट्रेनें

राज्य 2017 2016 2015

बिहार 104 93 80

उत्तरप्रदेश 95 87 72

पंजाब 67 68 64

गोवा 54 54 54

असोम 52 47 46

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नोट : ये आंकड़े मिनट में हैं जहां ट्रेनें औसतन इतने मिनट देरी से पहुंचती हैं।


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