स्वच्छता के नारों से नहीं 'पिघले' कूड़े के पहाड़
जिस दिल्ली दरबार से स्वच्छ भारत अभियान के लिए स्वच्छता के नारे देश भर में गूंजे उसी दिल्ली से कानपुर को आने वालेरास्ते में भाऊसिंह पनकी का जरा हाल देखिए। स्वच्छता के नारों से यहां पर खड़े कूड़े के पहाड़ जरा भी नहीं पिघले अलबत्ता पहले से ज्यादा ऊंचे हो गए हैं।
जागरण संवाददाता, कानपुर :
जिस दिल्ली दरबार से स्वच्छ भारत अभियान के लिए स्वच्छता के नारे देश भर में गूंजे, उसी दिल्ली से कानपुर को आने वालेरास्ते में भाऊसिंह पनकी का जरा हाल देखिए। स्वच्छता के नारों से यहां पर खड़े कूड़े के पहाड़ जरा भी नहीं पिघले, अलबत्ता पहले से ज्यादा ऊंचे हो गए हैं। भाऊसिंह कूड़ा निस्तारण प्लांट बंद हो गया है। इसका असर न केवल हाईवे बल्कि शहर पर भी दिख रहा है जहां जगह-जगह जमा कूड़ा सड़ांध मार रहा है। इस अव्यवस्था पर अब प्लांट संचालक कंपनी पर कार्रवाई की तैयारी हो रही है। कंपनी को काली सूची में डालने के लिए नगर विकास विभाग को पत्र लिखा गया है। संचालन के लिए नई कंपनी तलाशी जाएगी।
इंफ्रास्ट्रक्चर लीजिंग एंड फाइनेंशियल सर्विसेज (आइएलएंडएफए) कंपनी प्लांट के संचालन में फेल हो गई है। प्लांट में पानी भरा है। मुख्य गेट के आसपास ही कूड़ा फैला होने और जलभराव होने से वाहन अंदर नहीं जा पा रहे है। 15 लाख मीट्रिक टन कूड़ा एकत्र हो गया है। नगर निगम दो जेसीबी और चार पोकलैंड मशीन दो दिन से लगाकर कूड़े को हटा रहा है। धीरे-धीरे वाहन अंदर जाने से हाईवे पर जाम लग रहा है। हाईवे के आस-पास भी गंदगी फैली पड़ी है। अंदर नहीं जा पाने पर वाहन रात में सड़क पर ही गंदगी डालकर चले जाते है। प्लांट पर वाहनों के फंसने से शहर में भी कूड़े का उठान प्रभावित हुआ है। तमाम जगह कूड़े के ढेर लगे हैं।
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आसपास गांवों में सांस लेना दूभर, महामारी का खतरा
प्लांट के आसपास के गांवों के लोगों की जिंदगी तो और भी नरक हो गई है। गांव बदुआपुर, भाऊसिंह पनकी, सरायमीता, भौंती, पनकी पड़ाव, जुमई में रहने वाले लगभग दस हजार ग्रामीणों का जीना दूभर हो गया है। सांस लेना मुश्किल हो गया है। महामारी का खतरा मंडरा रहा है। भूगर्भ जल भी दूषित होने का खतरा बढ़ता जा रहा है।
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कंपनी को नोटिस दी गई है। नगर विकास विभाग को पत्र लिखा गया है कि कंपनी को काली सूची में डाला जाए। संचालन के लिए दूसरी कंपनी तय की जाए।
-आरके पाल, पर्यावरण अभियंता नगर निगम
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आंकड़ों की नजर से
- 15 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कूड़ा प्लांट में एकत्र
- 1350 मीट्रिक टन कूड़ा रोज शहर से निकलता है
-1100 मीट्रिक टन कूड़ा रोज उठकर प्लांट जाता
- 450 मीट्रिक टन कूड़े से खाद बन रही थी
- 250 मीट्रिक टन कूड़ा रोज शहर में एकत्र हो रहा।
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रद्दी की टोकरी में एनजीटी के आदेश
एनजीटी की ओर से कूड़ा निस्तारण को लेकर गठित कमेटी के चेयरमैन डीपी सिंह ने पिछले दिनों कूड़ा निस्तारण प्लांट का निरीक्षण किया था। आपत्ति जताई थी कि पांडु नदी के बगल में प्लांट नही होना चाहिए। शहर में अलग-अलग दिशा में प्लांट बनाए जाए। इसके लिए केडीए ने तीन जगह चिह्नित की, लेकिन अभी तक नगर निगम को कब्जा नहीं मिला है।
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जनता बोली
गंदगी के ढेर बढ़ते जा रहे हैं। सांस लेना दूभर हो गया है। कूड़े का असर भूगर्भ जल पर भी पड़ने लगा है। मच्छरों का प्रकोप भी बढ़ गया है।
-आशीष गुप्ता, पनका गांव
प्लांट चालू हुआ था तो लगा कि गंदगी से निजात मिलने के साथ ही रोजगार भी मिलेगा। स्थिति और भी बदतर हो गई है।
शिवदयाल, सरायमीता