निर्माण में खेल, स्वच्छता अभियान फेल ! शौचालयों में न छत पड़ी और न लगे दरवाजे
स्वच्छ भारत अभियान में भी अफसर और ठेकेदार खेल करने से नहीं चूक रहे हैं।
By Edited By: Published: Fri, 15 Mar 2019 01:53 AM (IST)Updated: Fri, 15 Mar 2019 11:12 AM (IST)
जेएनएन, कानपुर: स्वच्छ भारत अभियान में भी अफसर और ठेकेदार खेल करने से नहीं चूक रहे हैं। शौचालयों के निर्माण के नाम पर केवल खानापूर्ति की गई है। अधिकांश शौचालयों में न छत और दरवाजे लगे हैं। ग्रामीणों ने इन अधूरे शौचालयों में कंडे और लकड़ी भर रखी है और खुद खुले में शौच को जा रहे हैं। जनता का दर्द Þसरकार को ऐसे शौचालय बनाने का क्या फायदा। जब तक शौचालय निर्माण पूरा नहीं होगा तब तक उनका उपयोग नहीं किया जा सकेगा। - सूर्यपाल अगर दूसरी किस्त आ जाए तो हम लोग एक सप्ताह में अपने शौचालय पूरे कर लें। टीन के नीचे पर्दा डालकर शौच को जाना भद्दा लगता है। Þ - गोपाल विश्वकर्मा कागज में ओडीएफ घोषित विपौसी, नागापुर,डोमनपुर, मथुराखेडा, नरायनपुर, रहनस ,भदासा, सलेमपुर, हाथीपुर, महाराजपुर आदि गंगा किनारे गावों को ओडीएफ घोषित कर दिया गया लेकिन यहा अभी भी ग्रामीण शौचालय न होने से खुले में शौच जाने को मजबूर हैं। शौचालयों में बिजली नहीं शहर का हाल भी बेहाल है। मोतीझील परिसर में बने शौचालय में बिजली गायब है। कारगिल पार्क में बने ई शौचालय में बंद पड़ा है। यह हाल नगर निगम मुख्यालय के पास का है तो शहर के अन्य शौचालय का अंदाजा लगा सकते है। कई जगह एकल शौचालय के गड्ढे खोदे पड़े है। दृश्य एक: बिधनू ब्लाक के बनपुरवा गांव निवासी उर्मिला को अक्टूबर 2018 को शौचालय के लिए पहली किस्त छह हजार रुपये मिली। प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी ने रुपये लेकर शौचालय निर्माण शुरू करा दिया। पांच माह के निर्माण के बाद भी शौचालय नहीं बना है। न दरवाजा लगा और न ही सीट रखी गई। इसका प्रयोग कंडे रखने का इस्तेमाल कर रही हैं। दृश्य दो: हरबसपुर गांव निवासी शांति देवी को दिसंबर 2018 में प्रधान व ग्राम विकास अधिकारी ने शौचालय निर्माण शुरू कराया। शौचालय में दरवाजा लगवाकर उसमें स्वच्छ भारत भी लिखा दिया, लेकिन न ऊपर छत पड़ी और न ही सीट। शांति देवी बताती है कि अधिकारियों ने जब तक सीट और छत न पड़ जाए तबतक शौचालय का दरवाजा बंद रखने को कहा। इसकी वजह से परिवार शौचालय का दरवाजा बंद कर खुले में शौच जा रहा है।
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